भूत बंगले में गूंज रहीं थीं पूनम की चीखें, लोगों को लगा चुड़ैल है

Bhopal Samachar
भोपाल। बंगले में दीपक रजक अपनी पत्नी पूनम को पीट रहा था। पूनम के कपड़े फाड़ दिए थे।  पेपर कटर से उसके जिस्म पर जख्म दे रहा था। पूनम गला फाड़ फाड़कर चीख रही थी। उसकी आवाजें बाहर भी आ रहीं थीं। कुछ लोग भूत बंगले के पास भी पहुंचे परंतु किसी ने ना तो मदद की और ना ही पुलिस को सूचना दी। लोगों को लगा आवाजें भूतों की आ रहीं हैं। कुछ देर बाद खून से सने हाथ लेकर एक युवक बाहर निकला। शिवपुरी निवासी दीपक रजक ने अपने शहर से 250 किलोमीटर दूर आकर अपनी पत्नी पूनम का कत्ल इसी बंगले में किया और फिर पुलिस के पास जाकर सरेंडर कर दिया। दीपक का कहना है कि पूनम के कई लड़कों से अवैध रिश्ते थे। इसलिए उसे इतनी बेरहमी से मार डाला। उसने इस बंगले का चुनाव इसीलिए किया ताकि पुकार सुनने के बाद भी कोई पूनम की मदद को आगे ना आए और ऐसा ही हुआ। 

लालघाटी इलाके में बना यह बंगला। भूत बंगले के नाम से पहचाना जाता है। इस बंगले को लेकर कई किस्से चर्चा में रहे हैं। आज भी लोग इस बंगले के सामने से गुजरते वक्त सहम जाते हैं। यह बंगला अक्सर किसी न किसी वजह से विवाद और लोगों के डर का कारण बना रहा है। लोगों का मानना है कि बरसों से खाली पड़े होने की वजह से इस बंगले पर भूतों ने अपना कब्जा कर लिया है। देर रात इस बंगले में से अजीब आवाजें आती है, जो लोगों की दहशत का मुख्य कारण हैं। 

इसलिए महल के अंदर से आती है भयानक आवाज...
हालांकि कई लोग भूत-प्रेत की बातें सिर्फ वहम बताते हैं। पुराने शहर में रहने वाले बड़े-बुजुर्गों के अनुसार इस बंगले में कोई भूत नहीं है। यह बंगला निहायत सलीके और बेहतर योजना का कमाल है, जिसे नवाबों के दौर में बनाया गया था। लगभग 1 लाख 22 हजार 500 स्क्वायर फीट पर बना यह बंगला खूबसूरत कारीगरी का एक नमूना है। इसमें भोपाल का पहला रॉक गार्डन और कॉर्नर विंडो भी थी, जो अब अपनी पहचान खो चुकी है। भोपाल में रह चुके मौलाना अबुल कलाम आजाद साहब की बहनें आबरू और आरजू यहां रहा करती थीं। आबरू बेगम बहुत तेज और जहन की समझदार थीं। वह प्रिंस ऑफ वेल्स लेडीज क्लब की सेक्रेटरी भी रहीं। 

दरअसल देर रात सुनसान में जब लालघाटी से गाडिय़ां चढ़ती हैं, तो उनकी आवाज महल के पीछे पहाड़ से टकराकर, खाली महल में गूंजती है। गाड़ियों की उन आवाजों को लोग भूतों की आवाज समझ लेते हैं। नवाबी दौर के इस बंगले को नवाबी शासन खत्म होने के कुछ वक्त बाद ही महज 20 हजार रुपए में नगर सेठ छगनलाल ने खरीद लिया था।

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