भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। इस बार उन्होंने यह बयान ट्वीट के जरिए दिया है। शायद यह पहली बार है जब शिवराज सिंह चौहान ने इस तरह का कोई ट्वीट किया है। उन्होंने हिंदी में लिखा है 'हड़ताल में शामिल नहीं होने वाले रोज़गार सहायकों का मानदेय 7 से 9 हज़ार कर दिया गया है। मैं हड़ताल में शामिल लोगों को एक धेला भी नहीं दूंगा!'
बता दें कि शिवराज सिंह की तीसरी पारी की शुरूआत ही विरोध, विवाद और हड़तालों से हुई है। अध्यापक संविलियन एवं 6वें वेतनमान के लिए हड़ताल कर रहे हैं। आधा दर्जन बार शिवराज सिंह ऐलान भी कर चुके हैं परंतु गणनापत्रक आज तक जारी नहीं हुआ। सरपंच अपने पंचायती अधिकारों के लिए हड़ताल पर हैं। उनके साथ जिला एवं जनपद पंचायतों के जनप्रतिनिधि भी हड़ताल पर थे। पंचायत सचिवों ने हड़ताल की तो सरकार ने रोजगार सहायकों का वेतन बढ़ाकर दवाब बनाने की कोशिश की परंतु सरकार सफल नहीं हो पाई।
बिजली संविदा कर्मचारी, बिजली कंपनियों के अनुकंपा आश्रित, पटवारी, राजस्व निरीक्षक, राजस्व अधिकारी, 108 एम्बुलेंस, जूनियर डॉक्टर्स, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, मंत्रालय के कर्मचारी, मध्यप्रदेश के संविदा कर्मचारी, मध्यप्रदेश के आउट सोर्सिंग कर्मचारी, स्कूल एवं कॉलेजों में पढ़ा रहे अतिथि शिक्षक समेत लगभग हर कर्मचारी वर्ग शिवराज सिंह के खिलाफ हड़ताल कर चुका है। इनमें से कुछ तो इसलिए हड़ताल कर रहे हैं क्योंकि भाजपा ने उनकी मांगों को अपनी घोषणा पत्र में शामिल किया परंतु सरकार बनने के बाद पूरा नहीं किया।हड़ताल में शामिल नहीं होने वाले रोज़गार सहायकों का मानदेय ७ से ९ हज़ार कर दिया गया है. मैं हड़ताल में शामिल लोगों को एक धेला भी नहीं दूंगा!— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) 26 अप्रैल 2017
अब सीएम शिवराज सिंह ने इस तरह का बयान जारी कर दिया। 'मैं एक धेला भी नहीं दूंगा' वाक्य को अहंकारी बयान माना जा रहा है। इससे पहले 'माई का लाल' बयान देकर भी शिवराज सिंह अपने लिए परेशान मोल ले चुके हैं। अब यह नई समस्या आ गई। देखते हैं शिवराज सिंह के इस बयान से कर्मचारी डरकर काम करते हैं या एकजुट होकर हड़ताल पर उतर आते हैं।