बिलासपुर। पीएससी 2005 में हुए चयन में गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए 2007 में प्रस्तुत की गई जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने तथ्यों और सबूतों के आधार पर सीबीआई से जानना चाहा है कि क्या इस मामले में जांच हो सकती है? राज्य शासन को भी इसी आधार पर सीबीआई से जांच की संभावना पर विचार करने के निर्देश दिए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 11 मई को होगी। पूर्व में एसपी ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश करने की जानकारी दी थी, लेकिन बाद में इसे बदलते हुए जांच लंबित होने की जानकारी दी गई।
छत्तीसगढ़ पीएससी 2005 चयन प्रक्रिया में तत्कालीन अध्यक्ष खेलनराम जांगड़े की वाइस रिकार्डिंग सामने आई थी, जिसमे वे कथित रूप से एक अभ्यर्थी के पिता से राशि का लेनदेन कर चयन करने की जानकारी दे रहे थे। साथ ही तत्कालीन सदस्य अमोल सिंह सलाम पर आरोप लगा था कि उन्होंने इंटरव्यू से पहले एक अभ्यर्थी को पूछे जाने वाले सवाल लिखकर दे दिए थे। बाद में यही सवाल पूछे भी गए। साथ ही जगदलपुर परीक्षा केंद्र में पर्चा भी लीक हो गया था। मामले पर योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष वीरेंद्र पाण्डेय की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू की गई।
वहीं, राधाकिशन शर्मा व अन्य ने अधिवक्ता प्रतीक शर्मा के जरिए 2007 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई। यह फिलहाल लंबित है। गुरुवार को चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन और जस्टिस पी सैम कोशी की बेंच ने कहा कि मामले में प्रस्तुत तथ्य और साक्ष्यों के आधार पर सीबीआई का पक्ष जानना उचित होगा कि क्या इस मामले की जांच करवाई जा सकती है। साथ ही इसी आधार पर सीबीआई जांच की संभावना पर विचार करने को कहा गया है। अगली सुनवाई 11 मई को होगी।
रायपुर एसपी व जांच अधिकारी किए गए थे तलब
हाईकोर्ट ने मामले में रायपुर एसपी के साथ ही जांच अधिकारी को तलब किया था। पहले बताया गया कि मामले में क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी गई है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने इस पर आपत्ति दर्ज की। बाद में जानकारी दी गई कि मामले में फिलहाल जांच लंबित है। गौरतलब है कि अधिकारियों ने 2010 में संबंधित वाइस रिकार्डिंग को जांच के लिए चंडीगढ़ लेबोरेटरी भेजा था। जहां से क्वालिटी खराब होने की जानकारी देते हुए वापस कर दिया गया था।