भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों खुद को मां नर्मदा का सबसे बड़ा सेवक बता रहे हैं। सरकारी खजाने से करोड़ों का खर्चा करके 'नर्मदा सेवा यात्रा' निकाली जा रही है। इसके विरुद्ध कांग्रेस शिवराज सिंह को नर्मदा का शोषण करवाने वाला मुख्यमंत्री बता रही है। बात आस्था की है, परंतु शिवराज सिंह की आस्था पर उस समय सवाल खड़ा हो गया जब उन्होंने जूते पहनकर नर्मदाजी की आरती की। मप्र शासन द्वारा वित्तपोषित प्रमुख समाचार पत्रों में इस खबर को कोई खास जगह नहीं मिल पाई लेकिन सोशल मीडिया पर उनकी फोटो वायरल हो गई।
बात बुधवार की 12 Arpil है। स्थान है दमोह और कार्यक्रम का नाम अंत्योदय मेला। वही मेला, जहां से शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि शिक्षकों को जनता के सामने जलील किया। यहां मां नर्मदा की आरती के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जूते उतारना उचित नहीं समझा। अजीब बात यह भी है कि वित्तमंत्री जयंत मलैया और दूसरे नेता भी जूते पहने रहे।
अब जब बात निकली तो बात को संभालने की कोशिश भी शुरू हो गई। कहा जा रहा है कि वो नर्मदाजी की नहीं भारत माता की आरती थी। सवाल यह है कि आरती किसी भी की हो। यदि जूते पहनकर की जाए तो इसे अपमान ही कहा जाएगा। अब या तो शिवराज सिंह ने नर्मदाजी का अपमान किया है या भारत माता का लेकिन अपमान जरूर किया है। देश के स्वाभिमान और देवताओं का अपमान करने वालों को दण्डित करने का स्वयंभू अधिकार भारत में कुछ हिंदू संगठनों के पर आरक्षित है। देखते हैं, वो अपने लाड़ले शिवराज को क्या दंड दे पाते हैं।