उपदेश अवस्थी/नई दिल्ली। पिछले 10 साल में कांग्रेस को जितने कार्यकर्ताआ और नेताओं ने नमस्ते किया है। इतने तो आम आदमी पार्टी में कुल सक्रिय कार्यकर्ता नहीं होंगे। एक एक ईंट दरकते दरकते पिछले 10 सालों में कांग्रेस का महल, खंडहर में तब्दील हो चुका है। सबको इसकी रिसती हुई दीवारें दिखाई दे रहीं हैं। बावजूद इसके दिल्ली कांग्रेस के प्रेसिडेंट अजय माकन ने आज घमंडी बयान देते हुए कहा कि किसी के चले जाने से पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ता।
एक बेवसाइट को दिए इंटरव्यू में माकन ने कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं पर कहा कि एक-दो लोगों के पार्टी से चले जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित के प्रचार में ना आने या नेताओं के कांग्रेस छोड़ने की कोई खास वजह नहीं है और न ही कोई नाराजगी। एक दो नेताओं ( अरविंदर सिंह लवली और एके वालिया) के जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता। ये कोई इलेक्शन इश्यू नहीं है। टिकट बंटवारे में भाई-भतीजावाद की बातें हो रही हैं, लेकिन हमने जीतने वालों को टिकट दिए। जहां तक शीला दीक्षित के प्रचार की बात है, अगर कोई कैंडिडेट उन्हें बुलाता तो जरूर जातीं।
बता दें कि पिछले 10 सालों में देश भर में कांग्रेस से नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं की अब इतनी बड़ी फौज तैयार हो चुकी है कि एक नई राष्ट्रीय पार्टी बन जाए। इससे पहले महाराष्ट्र और बंगाल सहित कई इलाकों में कांग्रेस से टूटकर नए दल बन चुके हैं। कांग्रेस से भाजपा में जाने वालों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि अब आरएसएस और भाजपा के पुराने नेता परेशानी में हैं। कहीं भाजपा में कांग्रेसियों का बहुमत ना हो जाए और माकन कहते हैं पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता। मियां माकन, कब समझ में आएगा। जब अकेले रह जाओगे तब ?