
हालांकि नमूनों का गहराई से निरीक्षण करने के बाद मैंने पाया कि दोनों में बहुत ज्यादा समानताएं हैं. इसके बाद चिकित्सक ने मरीजों की फाइलों को देखा और ये पाया कि दोनों की जन्म की तारीख वर्ष 1984 में एक सी है. उन्होंने कहा, इसको ध्यान में रखते हुए मुझे ये विश्वास हो गया कि दोनों मरीज जुड़वां हैं. हालांकि चिकित्सक को ये मालूम नहीं था कि दंपति इस बात को जानते हैं अथवा इससे बिल्कुल अनजान हैं. अगले अप्वाइंटमेंट में जब डॉक्टर ने उन्हें ये बात बताई तो दोनों को विश्वास ही नहीं हुआ और दोनों जोर से हंस पड़े. उन्होंने कहा, ये सुनने के बाद पति ने बताया कि कई लोगों ने उनसे कहा था कि दोनों के बीच काफी समानताएं हैं मसलन उनका जन्मदिन एक ही तारीख को हैं, दोनों दिखते भी एक जैसे ही हैं. लेकिन उन्होंने इसे एक संयोग ही माना.
चिकित्सक ने कहा, पत्नी लगातार ये कहती रही कि मैं ये स्वीकार करूं कि ये एक मजाक है और मैं भी चाहता था कि ये मजाक ही हो लेकिन उन्हें सच्चाई बतानी थी. इस मामले में स्त्री और पुरुष दोनों से बात करने के बाद चिकित्सक ये जान पाया कि ये सब कैसे हुआ. चिकित्सक ने कहा, बच्चों के माता पिता की मौत के बाद दोनों को गोद लिया गया था और दोनों ने एक जैसा ही बचपन गुजारा था और इसलिए उन्हें लगा कि वे दोनों आपस में आसानी से जुड़ सकते हैं.
तथ्यों की जांच से पता चला कि जब दोनों बच्चे थे तभी सड़क दुर्घटना में उनके माता पिता की मौत हो गई थी. अभिभावकों की मौत के बाद कोई परिवार बच्चों को गोद लेने के लिए तैयार नहीं हुआ इसके बाद उन्हें राज्य की देखरेख में भेज दिया गया और वहां से उन्हें दो अलग-अलग परिवारों को गोद दे दिया गया. लेकिन, उन परिवारों को ये बताया ही नहीं गया कि उस बच्चे का जुड़वां भाई या बहन भी है. चिकित्सक ने कहा, मैं दिल से ये उम्मीद करता हूं कि वह कोई नतीजा निकाल सकें. मेरे लिए खासतौर पर ये असमान्य मामला है क्योंकि मेरा काम निसंतान दंपति को बच्चे का सुख दिलाने में सहायता करना है. मेरे करियर में ये पहला मामला है जब मैं उस संबंध में सफलता नहीं प्राप्त करके भी खुश हूं.