भोपाल। प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़े बदलाव की तैयारी शुरू कर दी गई है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए स्थापित किए गए राज्य शिक्षा केंद्र का अस्तित्व खत्म कर उसे लोक शिक्षण संचालनालय में मिलाने की कवायद शुरू कर दी गई है। हाल ही में विभागीय मंत्री कुंवर विजय शाह ने इस सिलसिले में एक नोटशीट राज्य शिक्षा केंद्र में भेजी है। इसमें राज्य शिक्षा केंद्र का विलय लोक शिक्षण संचालनालय में करने के निर्देश मंत्री ने कमिश्नर को दिए हैं। इसके लिए 15 दिन का समय दिया गया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने दबे सुर में इस बदलाव का विरोध करना शुरू किया है। तर्क दिया जा रहा है कि इससे न केवल प्राथमिक शिक्षा कमजोर होगी, बल्कि पहले से ही काम से जूझ रहे लोक शिक्षण संचालनालय पर भी अतिरिक्त भार पड़ जाएगा।
वर्ष-1994 से अब तक प्राथमिक शिक्षा पर लगभग 40 हजार करोड़ रुपए खर्च करने के बाद अब सालों पुराने सेटअप को बदला जा रहा है। वर्तमान में प्रारंभिक शिक्षा का प्रतिशत बढ़कर 64 तक पहुंच गया है, अफसरों का अनुमान है कि इस बदलाव से प्रतिशत गिरकर नीचे पहुंच जाएगा। नई व्यवस्था का विरोध कुछ कर्मचारी संगठन भी कर रहे हैं।
यह होगा असर
जानकारों का मानना है कि यदि राज्य शिक्षा केंद्र व लोक शिक्षण संचालनालय को एक कर दिया तो व्यवस्था को पटरी पर आने में 10 साल लगेंगे। केंद्र के गठन के दस साल बाद ही शिक्षा का स्तर सुधारने के सार्थक परिणाम सामने आए थे। 64% तक पहुंच गई थी। इसलिए अफसर मंत्री से मामले में विचार करने का अनुरोध करने जा रहे हैं।
हस्तक्षेप नहीं कर पाते:
दरअसल, राज्य शिक्षा केंद्र से संबंधित किसी भी नए प्रस्ताव का अनुमोदन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी से करवाना होता है। इसके विलय होने के बाद सारा कार्यभार विभागीय मंत्री के पास आ जाएगा। माना जा रहा है कि राज्य शिक्षा के केंद्र की कमान अपने हाथ में लेने के लिए ही यह कवायद की जा रही है।
दो दिन में निरस्त हुआ था आदेश
तीन साल पहले भी 10 जून 2014 काे डीईओ व डीपीसी आफिस को एक करने संबंधी आदेश जारी किया गया था। दो दिन बाद ही मंत्रालय के आदेश 12 जून 2014 को निरस्त कर दिया गया था। स्कूल शिक्षा मंत्री द्वारा लिखी गई नोटशीट में भी इसका उल्लेख है।