कुछ कीजिये जल मरे और कुचल कर मारे गये किसानों के लिए | FARMER

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। आंध्र के चित्तूर में आन्दोलनरत 10 किसानों को कुचल कर मार डालने और मध्यप्रदेश के हर्रई में 15 लोगों की जल मरने से मौत पर आज सरकारी बयान दोनों वाक्यों को दुर्घटना साबित करने वाले हैं। ये दोनों घटनाएँ किसानों की आत्महत्या तो  नही है, पर भारत के किसान की दुर्दशा का वर्णन करने के लिए काफी है। दोनों के केंद्र में सरकार है। किसानों के आन्दोलन पर लारी का चढना क्या कानून व्यवस्था का सवाल नही है ? क्या हर्रई में घासलेट और अन्य सामान लेने भोपाल से लोग गये थे, वे भी किसान थे और उन्हें घासलेट भी आसानी से उपलब्ध नही था।

सच तो यह है कि स्वतंत्र भारत से पूर्व और स्वतंत्र भारत के पश्चात एक लम्बी अवधि व्यतीत होने के बाद भी भारतीय किसानों की दशा में सिर्फ 19-20 का ही अंतर दिखाई देता है। जिन अच्छे किसानों की बात की जाती है, उनकी गिनती उंगलियों पर की जा सकती है। बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के कारण कृषि योग्य क्षेत्रफल में निरंतर गिरावट आई है।जिस देश में 1.25 अरब के लगभग आबादी निवास करती है और देश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधारित है, उस देश में कृषि शिक्षा के विश्वविद्यालय और कॉलेज नाम-मात्र के हैं, उनमें भी गुणवत्तापरक शिक्षा का अभाव है।

शिक्षा का ही दूसरा पहलू जिसे प्रबंधन शिक्षा की श्रेणी में रखा जा सकता है, नाम-मात्र भी नहीं है। राष्ट्रीय अथवा प्रदेश स्तर पर कृषि शिक्षा के जो विश्वविद्यालय हैं, उनमें शोध संस्थानों के अभाव में उच्चस्तरीय शोध समाप्त प्राय से हैं। चाहे संस्थानों का अभाव हो, वित्तीय एवं तकनीकी सुविधाओं का अभाव हो अथवा गुणवत्तापरक शिक्षकों का अभाव हो, जिसके कारण एक हरित क्रांति के बाद फिर कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ। किसान ईश्वरीय कृपा पर ही आज भी निर्भर हैं।

सारे राजनीतिक दल हर चुनाव में खेती को लाभ का व्यवसाय  बनाने की बात करते हैं, पर करते कुछ नहीं। 10 से 14 रूपये किलो बिकने वाले अनाज के उत्पादन में जितना पानी लगता है। उससे कम कीमत सरकारों के समर्थन मूल्य की होती है। असुविधा में जीता किसान जब आन्दोलन करता है तो सरकार सब हथकंडे अपनाती है। उसे खाद बीज तो दूर घासलेट तक को संघर्ष करना होता है। आज आंध्र का चित्तूर और मध्यप्रदेश का हर्रई उदाहरण है, अन्नदाता की तस्वीर का।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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