
सन्यासी बनकर फरारी काट रहे आरोपी का असली नाम विष्णु दुबे पुत्र हरिओम दुबे है। वह आमा कदीम सीहोर का रहने वाला है और दो साल से छिपकर रह रहा था। करण को वर्षा के चरित्र पर संदेह था। इस पर दोनों में आए दिन विवाद होता था। 28 जून 2015 को करण काम में नहीं गया। दोनों में विवाद हुआ। करण ने वर्षा को घर से निकालने की धमकी दी। वर्षा साथ रहने की जिद पर अड़ गई। इससे गुस्साए करण ने उस पर केरोसिन डालकर आग लगा दी। इसमें करण का चेहरे व हाथ भी जला था। मोहल्ले में हल्ला होने पर वह वर्षा को अस्पताल ले जाने के लिए ऑटो लेने के लिए घर से निकला था, फिर लौट नहीं आया।
वर्षा निमसाड़िया की रहने वाली थी। नसरुल्लागंज के विवाह सम्मेलन में उसकी शादी हुई थी। इस दौरान उसकी करण से पहचान हुई। वर्षा कुछ दिन बाद पति को छोड़कर करण के साथ रहने लगी। दोनों पहले आदमगढ़ फिर बालागंज में फकीरा वर्मा के घर फिर शांति बाई वर्मा के घर में रहने लगे थे।
पुलिस के पास फोटो और फर्जी नाम ही था
पुलिस के पास आरोपी की फोटो और नाम के अलावा कुछ नहीं था। वह बसों में हेल्परी करता था। होशंगाबाद बस स्टैंड पर डाइवर एवं कंडक्टरों से पूछताछ में पुलिस को उसके नसरुल्लागंज के आसपास का होने की जानकारी लगी। पुलिस ने उसे चकल्दी के हनुमान मंदिर से पुजारी के वेश में धर दबोचा।