नई दिल्ली। रिजर्वेशन पाने वाले लोगों को अब केवल आरक्षित कैटेगरी में ही सरकारी नौकरी मिलेगी। कोटे में सीटें न मिलने पर उन्हें जनरल कोटा नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच ने एक पिटीशन का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया। कोर्ट ने कहा, "रिजर्वेशन कोटे के कैंडिडेट को उसी वर्ग में नौकरी मिलेगी, चाहे उसने जनरल कैटेगरी के उम्मीदवार से ज्यादा अंक क्यों न हासिल किए हों।"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अक्सर रिजर्व्ड कोटे के लोग सरकारी नौकरी के लिए आरक्षित कोटे में ही अप्लाई करते हैं। वे वहां पर सीट न बचने की वजह से जनरल कोटे के कैंडिडेट्स के कोटे की सीटों की मांग करते हैं। इसके लिए कभी जनरल कोटे के कैंडिडेंट से ज्यादा मार्क्स लेने की दलील दी जाती है तो कभी कोई अन्य वजह बताई जाती है। मगर यह प्रोसेस गलत है। कोर्ट ने यह व्यवस्था आरक्षित कोटे में नौकरी पाने में नाकाम एक महिला उम्मीदवार की पिटीशन पर फैसला सुनाते हुए दी।
महिला ने जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट से ज्यादा मार्क्स लेने के आधार पर नौकरी दिए जाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि पिटीशनर ने एज लिमिट में छूट लेकर ओबीसी की रिजर्व्ड कैटेगरी में अप्लाई किया था। उसने इंटरव्यू भी ओबीसी कैटेगरी में ही दिया था। लिहाजा वह जनरल कैटेगरी में अप्वाइंटमेंट के अधिकार के लिए दावा नहीं कर सकती।
ओबीसी में अप्लाई किया और नौकरी जनरल में मांगी
दीपा पीवी नामक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी। उसने कॉमर्स मिनिस्ट्री के अंडर में इंडियन एक्सपोर्ट सुपरविजन काउंसिल में लैब असिस्टेंट ग्रेड-2 के लिए ओबीसी कैटेगरी में अप्लाई किया था। परीक्षा में 82 मार्क्स मिले थे। ओबीसी कोटे के तहत अप्लाई करने वाले 11 लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। 93 अंक लेने वाली सेरेना जोसेफ को नौकरी दी गई। जनरल कोटे में मिनिमम कटऑफ मार्क्स 70 थे। मगर किसी भी सामान्य कैंडिडेट के इतने मार्क्स नहीं थे। दीपा ने खुद को जनरल कैटेगरी में नौकरी देने की मांग की तो मंत्रालय ने एप्लिकेशन ठुकरा दी। मामला हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
ज्यादा मौके वाले अनारक्षित पदों के लिए नाकाबिल माने जाएंगे
जस्टिस भानुमति ने कहा, "1 जुलाई 1999 को डीओपीटी की कार्यवाही के नियम में साफ है एससी/एसटी और ओबीसी के कैंडिडेट को, जो अपनी मेरिट के आधार पर चयनित होकर आए हैं, उन्हें जनरल कैटेगरी में शामिल नहीं किया जाएगा। उसी तरह जब एससी/एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए छूट के स्टेंडर्ड जैसे एज, एक्सपीरियंस, एजुकेशनल क्वालिफिकेशन, रिटन एग्जाम के लिए ज्यादा मौके दिए गए हों तो उन्हें आरक्षित खाली पदों के लिए ही विचारित किया जाएगा। ऐसे उम्मीदवार अनारक्षित पदों के लिए अयोग्य माने जाएंगे।