गर्भनिरोधक गोलियां मानसिक और शारीरिक सेहत को प्रभावित करती हैं। इनका सेवन निराशा की ओर ले जाता है और सक्रियता को कम करता है। इससे आत्मनियंत्रण भी कम हो जाता है। एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह बताया है। स्टॉकहोम के करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं की टीम ने 18 से 35 साल की 340 महिलाओं पर तीन महीने के लिए परीक्षण किया। इसमें कुछ को महिलाओं को असली गर्भनिरोधक गोलियां दीं और कुछ को नकली।
असली गर्भनिरोधक गोलियां लेने वाली महिलाओं में निराशा और सक्रियता का स्तर कम देखने को मिला। शोधकर्ता प्रो. एंजेलिका लिंड ने कहा, परीक्षण में ज्यादातर गोलियों में लिवोनोरजेस्ट्रेल, सिंथेटिक एस्ट्रोजेन और एथिनीलएस्टाडियॉल मिला। गर्भनिरोधक गोलियों का असर जीवन और अवसाद की गुणवत्ता पर पड़ता है। अभी इसके और अध्ययन की आवश्यकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में 10 करोड़ से ज़्यादा महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि 1960 के दशक में गर्भनिरोधक गोलियों की शुरुआत के बाद से ही इसके इस्तेमाल से अलग-अलग तरह के साइड इफेक्ट्स देखने को मिले हैं। गार्डियन वेबसाइट की एक शॉर्ट फ़िल्म, उन युवा महिलाओं पर है, जिनकी मौत ख़ून का थक्का जमने से हुई और वे सब के सब हार्मोनल या गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल कर रही थीं। इस वीडियो में दावा किया गया है कि महिलाएं अगर गर्भनिरोधक गोलियों से होने वाली मौतों की दर को समझ जाएं तो वे इन गोलियों का इस्तेमाल नहीं करेंगी।