दृष्टिहीनता का मानक बदला: आधी रह जाएगी दृष्टिहीनों की संख्या | HEALTH

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। दृष्टिहीनता को दूर भगाने के लिए 40 दशक से तमाम अभियान चलाने के बावजूद जब सफलता हाथ नहीं लगी तो भारत सरकार ने दृष्टिहीनता का मानक ही बदल दिया। अब इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानदंड के अनुरूप कर दिया है। इस कदम से देश में दृष्टिहीनता तो कम नहीं होगी अलबत्ता सरकारी रिकॉर्ड में दृष्टिहीनों की संख्या जरूर आधी रह जाएगी। 

नई परिभाषा के अनुसार, कोई व्यक्ति जो तीन मीटर की दूरी से उंगलियां नहीं गिन सकता उसे दृष्टिहीन माना जाएगा जबकि 1976 में तय की गई परिभाषा के अनुसार यह दूरी 6 मीटर थी। उस वक्त निर्धारित किया गया था कि जो व्यक्ति 6 मीटर की दूरी से उंगलियां नहीं गिन सकता वह ब्लाइंडनेस की कैटिगरी में आएगा।

परिभाषा में संशोधन का उद्देश्य डेटा तैयार करने का भी है, जिसकी तुलना वैश्विक अनुमानित आंकड़े से की जा सके और भारत में दृष्टिहीनों की संख्या वर्ष 2020 तक कुल जनसंख्या का 0.3 प्रतिशत तक कम करने का डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
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