दुर्ग। बीमा करते समय बीमा कंपनी की यह जिम्मेदारी है कि वो बीमा आवेदन फार्म में उपभोक्ता द्वारा दर्ज कराई गई जानकारी का वेरिफिकेशन करे। यदि वो ऐसा नहीं करती और उपभोक्ता कोई गलत जानकारी दर्ज करा देता है तो इस आधार पर कंपनी बीमा क्लैम देने से इंकार नहीं कर सकती। इसी आधार के साथ उपभोक्ता फोरम ने RELIANCE LIFE INSURANCE COMPANY LIMITED, MUMBAI को आदेशित किया है कि वो अनावेदक को 2.60 लाख रुपए का भुगतान करे। जबकि उपभोक्ता ने इस पॉलिसी में अपनी उम्र छिपाई थी।
रेंगाकठेरा थाना गुंडरदेही निवासी नोहर सोनवानी ने रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मुंबई के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग में परिवाद पेश किया था। इसके मुताबिक परिवादी के पिता दयालदास सोनवानी ने 21 अगस्त 2014 को रिलायंस सुपर इण्डोमेंट प्लान के तहत बीस वर्ष की अवधि के लिए पॉलिसी ली थी। अनावेदक के एजेंट के बताए अनुसार 15 हजार 245.98 रुपए का वार्षिक प्रीमियम सिर्फ दस वर्ष तक भुगतान करना था और 20 वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर 2 लाख 60 हजार रुपए परिवादी को मिलने थे। पॉलिसी अवधि के दौरान आकस्मिक निधन होने पर नॉमिनी को संपूर्ण रकम मिलेगी।
परिवादी के पिता की 24 मई को मृत्यु हो गई। पिता की मौत के बाद परिवादी ने अनावेदक कंपनी की धमतरी स्थित शाखा में संपर्क किया। इस पर 40 दिन में रकम मिलने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में परिवादी को यह जवाब दिया गया कि आपने अपने पिता की उम्र छिपाई है। इस पर परिवादी ने जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग में परिवाद पेश किया।
सुनवाई के दौरान फोरम ने यह पाया कि बीमित व्यक्ति की जन्मतिथि 5 जून 1964 थी तो अनावेदक बीमा कंपनी का यह कर्तव्य था कि बीमित व्यक्ति की अधिक उम्र होने के आधार पर बीमा पॉलिसी देने से पहले उसका मेडिकल जांच कराती। मामले में फोरम ने अनावेदक के खिलाफ पारित आदेश में परिवादी को बीमाधन की राशि 2 लाख 60 हजार रुपए ब्याज सहित देने कहा है। वाद व्यय के रूप में पांच हजार रुपए का भुगतान अलग से करना होगा।