जबलपुर। मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) भोपाल के प्रोफेसर लवित रावतानी को 3 माह की जेल की सजा सुनाई है। यह सजा उन्हे हाईकोर्ट की अवमानना के एक मामले में सुनाई गई है। उन्होंने हाईकोर्ट के 5 जजों को भ्रष्ट बताया था। कोर्ट ने जब उनसे क्षमा याचना करने के लिए कहा तो उन्होंने इससे भी इंकार कर दिया। अत: हाईकोर्ट ने उन्हे दोषी मानते हुए सजा सुना दी। गुरुवार को जस्टिस आरएस झा और जस्टिस एके जोशी की युगलपीठ ने प्रोफेसर के दुस्साहस को आड़े हाथों लेते हुए सजा सुनाई। इसके साथ ही युगलपीठ ने अपील पेश करने के लिए लवित रावतानी को 3 सप्ताह का समय दिया है और इस अवधि में उसे दी गई सजा स्थगित रहेगी। अपील में स्टे न मिलने पर रावतानी को भोपाल के सीजेएम की कोर्ट में सरेंडर करना होगा।
भोपाल की अरेरा कॉलोनी में रहने वाले मैनिट के प्रोफेसर लवित रावतानी की ओर से वर्ष 2014 में यह जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में उन्होंने मैनिट में वर्ष 2005 में हुए प्रोफेसरों के चयन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। आरोप है कि चयन प्रक्रिया में अयोग्य लोगों का चयन हुआ, जिसकी शिकायत 9 दिसंबर 2013 को करने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई थी।
मामले पर 16 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान मैनिट की ओर से अधिवक्ता ने युगलपीठ को बताया था कि याचिकाकर्ता द्वारा भेजे गए एक लिफाफे के ऊपर कुछ जजों के नाम लिखकर उन्हें भ्रष्ट बता दिया गया। लिफाफे की इबारत का अवलोकन करने के बाद युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह अपने इस रवैये पर क्षमा मांगे, इसके बाद भी प्रोफेसर लवित रावतानी ने क्षमा याचना नहीं की। तब उसके खिलाफ अवमानना में शोकॉज नोटिस जारी किया गया था। बीते 2 मार्च को सुनवाई के बाद जस्टिस झा की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने आरोपी प्रोफेसर को अवमानना में दोषी पाया। गुरुवार को सुनवाई के बाद युगलपीठ ने आरोपी लवित रावतानी को सजा सुनाई।