अदिति वत्स/बिजनौर | एक मंदिर में रामनवमी के दिन लाउडस्पीकर को लेकर गांव में तनाव फैल गया। यह तनाव 20 गांव तक पहुंच गया। हिंदुओं ने यहां अपने घरों के बाहर संपत्ति बेचने की सूचना लिख दी है। उनका कहना है कि जिस गांव में हमें अपने मंदिरों में उत्सव मनाने की आजादी नहीं है, वहां रहकर क्या करेंगे। चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात है लेकिन स्थिति तनावपूर्ण है। हिंदुओं ने ऐलान किया है कि यदि उन्हे उत्सव मनाने की आजादी नहीं दी गई तो वो गांव से पलायन कर जाएंगे।
बिजनौर के जोगीरामपुरी गांव में लाउडस्पीकर को लेकर दो पक्षों (हिंदू और मुस्लिम) में हुए विवाद के बाद अभी तक हालात सामान्य नहीं हुए हैं। विवाद के बाद से करीब आधा दर्जन पुलिसवाले मंदिर पर पहरा दे रहे हैं, जबकि 20 अन्य गांव के अलग-अलग हिस्सों में तैनात है। वहीं, 15 गांव के करीब 15 घरों और दुकानों में ‘यह मकान बिकाऊ है’ का नोटिस लगा है। दरअसल विवाद के बाद गांवों के हिंदुओं का कहना है कि अगर उन्हें लाउडस्पीकर लगवाने की इजाजत नहीं दी गई तो वो गांव छोड़ देंगे।
मामला 5 अप्रैल सुबह का है। पुलिस का कहना है कि रामनवमी के अवसर पर गांवों के हिंदू लोग शिव मंदिर में पूजा-अर्चना करने आए थे। यह समोराह दोपहर देर तक चला। इसी दौरान गांव की मस्जिद में नमाज का समय हो गया है। वो चाहते थे कि मंदिर का लाउडस्पीकर हटा दिया जाए। मंदिर में लाउडस्पीकर को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए। स्थानीय हिंदुओं ने लाउस्पीकर उतारने पर एतराज जताया। समारोह में हिंदू युवा वाहिनी के मुरादाबाद जिले के अध्यक्ष एनपी सिंह भी उपस्थित थे।
ऐसे गांव में क्यों रहें जहां भगवान की पूजा भी नहीं कर सकते
जोगीपुरा गांव मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, यहां मुस्लिमों की आबादी ज्यादा है। इस विवाद से मुस्लिम समुदाय हैरान है। उनका कहना है कि वे लोग लंबे समय से शांतिपूर्ण तरह से एकसाथ रह रहे थे। गांव के पूर्व प्रधान मोहम्मद रफी अंसारी का कहना है कि कुछ बाहरी तत्व, गांववालों को उकसा रहे हैं। वहीं, गांव में ही स्टेशनरी और फोटोफॉपी की दुकान चलाने रोशन कूमार कहते हैं कि जोगीपुरी गांव के हिंदू निवासियों ने कहा कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह गांव छोड़ देंगे। ऐसे स्थान पर रहने का क्या मतलब है जहां आप धूमधाम से शादी नहीं कर सकते, त्योहारों को नहीं मना सकते हैं और अपने भगवान की भक्ति दिखा सकते हैं?
प्रशासन ने सशर्त अनुमति दी थी
बिजनौर के नगीना के सर्किल ऑफिसर (सीओ) ने अशोक कुमार यादव ने बताया कि विवाद बढ़ने के बाद दोनों समुदायों के लोगों के बीच मीटिंग हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया कि रामनवमी में साउंड सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकता है और इसे एक मैदान में लगाना होगा। हालांकि कुछ लोगों ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया और लाउडस्पीकर को मंदिर की गुंबद पर लगा दिया। रामनवमी का कार्यक्रम खत्म होने के बाद कुछ लोगों ने स्पीकर को हटाने की मांग की, क्योंकि यह समझौते का उल्लंघन है। सबडिवीजन मेसिस्ट्रेट वीके सिंह ने कहा कि रामनवमी पर मंदिर में लगाया गया लाउस्पीकर समझौते का उल्लंघन था। जिसके चलते पुलिस ने लाउस्पीकर हटवा दिया। बातचीत अंतिम दौर में है।
पहले सरकार निष्पक्ष नहीं थी
वहीं, हिंदू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष एनपी सिंह का आरोप है कि पहले राज्य सरकार एक सुमदाय का पक्ष लेती थी। सरकार किसी परिवार के मुखिया की तरह होती है और उसे अपने परिवार के सभी सदस्यों को साथ लेकर चलना होता है। उन्होंने कहा कि अगर मस्जिदों को लाउस्पीकर लगाने की इजाजत है तो मंदिरों को यह विशेषाधिकार क्यों नहीं दिया गया है।