राहुल शर्मा/भोपाल। मध्यप्रदेश में अब विद्यार्थी अपने शिक्षकों का मूल्यांकन करेंगे। एक निरीक्षण दल स्कूलों में पहुंचेगा और छात्रों से पूछेगा कि उनके अध्यापक/शिक्षक उन्हे कैसा पढ़ाते हैं। छात्रों के फीकबैक के आधार पर तय किया जाएगा कि शिक्षक के साथ क्या करना है। फिलहाल यह व्यवस्था केवल उन्हीं शिक्षकों के लिए लागू होगी जो राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए दावेदारी करेंगे। शिक्षा विभाग का कहना है कि ऐसी व्यवस्था इसलिए लागू की जा रही है जिससे सिर्फ योग्य शिक्षकों को ही राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। इसमें किसी तरह की गड़बड़ या मनमानी न हो।
ऐसे होगा शिक्षक का मूल्यांकन
राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामांकित शिक्षकों का मूल्यांकन उनके स्कूल में भ्रमण के आधार पर होगा। इसके लिए तीन सदस्यीय दल गठित होगा, जो विभिन्न मानकों की पड़ताल कर शिक्षकों को नंबर देगा। इसके बाद यह तय होगा कि संबंधित शिक्षक वाकई में राष्ट्रीय पुरस्कार की पात्रता रखता है या नहीं। लोक शिक्षण आयुक्त नीरज दुबे ने जिला शिक्षा अधिकारियों को तीन सदस्यीय निरीक्षण दल से जमीनी मूल्यांकन कराने के निर्देश दे दिए हैं। उनके मुताबिक शिक्षक की प्रतिष्ठा, अकादमिक प्रगति की दक्षता, छात्रों के प्रति शिक्षक की रुचि जैसे बिंदु मूल्यांकन प्रपत्र में शामिल किए गए हैं।
तैयार किया 100 अंकों का प्रपत्र
विभाग ने मूल्यांकन के लिए 100 अंकों का प्रपत्र तैयार किया है। इसमें 16 बिंदु है। इन पर निरीक्षण दल के तीनों सदस्यों को नंबर देने होंगे और अपने हस्ताक्षर करेंगे। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जिला चयन समिति की बैठक आयोजित की जाएगी और मूल्यांकन की पुनर्गणना होगी। अगर मूल्यांकन सही नहीं पाया जाता है, तो इसके लिए निरीक्षण दल के सदस्य जिम्मेदार होंगे।
इसलिए की गई यह व्यवस्था
स्कूल शिक्षा विभाग अधिकारियों के मुताबिक कई बार यह आरोप लगते रहे हैं कि राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए सही शिक्षक का चयन नहीं हुआ। इसकी मुख्य वजह यह होती थी कि पहले इसके पैमाने तय नहीं थे और सीधे यह फीडबैक आ जाता था कि शिक्षक का कार्य संतोषप्रद रहा है, लेकिन अब पैमाने तय हो जाने से ऐसा नहीं हो पाएगा। शिक्षक के व्यक्तित्व के साथ ही उनके कामों का सटीक विश्लेषण सामने आए सकेगा।
देखेंगे शिक्षक की कितनी प्रतिष्ठा
निरीक्षण दल को यह मूल्यांकन भी करना है कि शिक्षक की स्थानीय समुदाय में कैसी प्रतिष्ठा है। भले ही शिक्षक अकादमिक दृष्टि से बेहतर हों, लेकिन अगर उनका व्यवहार या प्रतिष्ठा समाज में नहीं है तो हो सकता है कि उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार की दौड़ से बाहर होना पड़े। इसके अलावा शिक्षक ने अकादमिक गुणवत्ता के लिए क्या प्रयास किए, छात्रों विशेष रूप से दिव्यांग छात्रों के प्रति शिक्षक का प्रेम, सामाजिक जीवन में शिक्षक की सहभागिता जैसे बिंदुओं पर भी शिक्षक का मूल्यांकन किया जाएगा।
अनुशासनहीनता का भी उल्लेख
शिक्षक के पिछले पांच साल के रिकॉर्ड की पड़ताल भी की जाएगी। यह देखा जाएगा कि इस दौरान उन्होंने कोई अनुशासनहीनता तो नहीं की है। अगर शिक्षक ट्यूशन पढ़ाते हैं, उन्हें बार-बार किसी की शिकायत करने की आदत है और वे अपने काम के लिए नियमित नहीं तो इसकी भी जानकारी तय प्रपत्र में दर्ज करनी होगी।