शैलेन्द्र गुप्ता/भोपाल। व्यापमं की तर्ज पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भोपाल में भर्ती का घोटाला सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि बिना विज्ञापन, आरक्षण रोस्टर के नियुक्तियां कर डाली गईं हैं। मप्र में किसी को पता भी नहीं चला कि मप्र के एनएचएम में नियुक्तियां हो गईं। ना कोई विज्ञापन जारी किया गया और ना ही कोई सूचना थी। अत: मप्र के बेरोजगार इन पदों के लिए आवेदन ही नहीं कर पाए।
अब इस मामले का विरोध शुरू हो गया है। सरकारी नौकरी की तलाश में बैठे बेरोजगार आंदोलित हैं। उनका कहना है कि मप्र के किसी भी अखबार में कोई विज्ञापन क्यों जारी नहीं किया गया।यदि केम्पस से चयन किया गया है, तो राजस्थान से क्यों मप्र मे क्यों नही किया गया ? जबकि यहां कई आयुश, मेनेजमेंट और मेडिकल कालेज हैं। फिर दूसरे प्रदेश से गुपचुप भर्ती क्यों की गई।
बताया जा रहा है कि 1 वर्ष पूर्व भी राजस्थान से हीे, चुपचाप, जिला MCH consultant की भर्ती की जा चुकी है। उस समय किसी ने आपत्ति नहीं ली अत: इस बार भी राजस्थान से ही भर्ती कर ली गई। आश्चर्य की बात ये है कि एनएचएम में 10 वर्षों से सेवारत संविदा कर्मचारियों का प्रतिवर्ष अप्रेजल के नाम पर लिखित, स्किल।टेस्ट और इंटरव्यू लिया जाता है तो वहीं एनएचएम अधिकारी सारे नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कैम्पस सलेक्शन कर नई नौकरी बाँट रहे हैं।