
इस योजना का सोशल मीडिया पर जमकर मखौल उड़ाया गया। वैज्ञानिकों ने इस तकनीक को खारिज कर दिया है। हालांकि मंत्री अब भी योजना पर कायम हैं। उनका कहना है कि वे विशेषज्ञों के साथ इस बारे में विचार करेंगे कि शीट को हवा में उड़ने से बचाने के लिए क्या किया जा सकता है। यह थी योजना वैगाई बांध का पानी तमिलनाडु के छह सूखा पीड़ित जिलों मदुरै, शिवगंगा, रामानाथपुरम, ठेणी और डिंडिगुल से प्रवाहित होता है। योजना के मुताबिक इन कस्बों का पानी भाप बनकर न उड़ जाए इसलिए ऐसा किया गया था। मंत्री राजू ने इस तकनीक के बारे में बताया कि उन्हें थर्माकोल कवरिंग तकनीक एक सूत्र से पता चली थी।
जो पत्रकार इस कार्यक्रम में पहुंचे थे उन्होंने देखा कि पानी को ढंकने के लिए पर्याप्त शीटें भी नहीं थी। चूंकि पानी का स्तर सब जगह अलग-अलग था इसलिए पानी पर शीटें ठहर नहीं रही थीं। राजू का कहना है कि इस तरीके से विदेशों में पानी को भाप बनकर उड़ने से रोका गया है। कोई और तरीका अपनाएंगे मदुरै के कलेक्टर के वीरा राघव राव ने कहा कि वैगाई बांध के 10 से 12 हैक्टेयर जल क्षेत्र में वाष्पीकरण रोकने के लिए कोई और तरीका अपनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि रोज 1.2 लाख घन फीट पानी वाष्पीकरण के चलते उड़ जाता है। थर्माकोल का उपयोग करने के बारे में उन्होंने कहा कि यह प्रदूषण नहीं करता।