भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाचारी अब बयानों में भी सुनाई देने लगी है। हालात नियंत्रण से बाहर हो गए हैं। भले ही वो सीएम हैं परंतु उनके अपने मंत्री उनको तवज्जो नहीं दे रहे हैं। एतप्क महीने में तीसरी बार उन्होंने यह बात दोहराई है। निश्चित रूप से अब यह अनुसंधान का विषय हो गया है। मप्र के मंत्री उद्दंड हो गए हैं या बात कुछ और ही है। आखर क्यों तीसरी पारी के अंतिम ओवरों में कप्तान की टीम कप्तान के साथ खड़ी नहीं हो रही। 'कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता।'
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर मंत्रियों को खरी-खोटी सुनाई है। कैबिनेट बैठक के ठीक बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी की मीटिंग होती है तो उसमें लोग मुंह दिखाकर चले जाते हैं। प्रदेश कार्यसमिति बैठक में सिर्फ नौ लोग ही मौजूद थे। ललिता यादव ने अभी बताया है कि वो प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह को बताकर गई थीं। ये सब क्या है। बात सिर्फ पार्टी मीटिंग की नहीं है, कैबिनेट की बैठक को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। आधे मंत्री तो आते ही नहीं।
एक माह में यह तीसरी बार है जब मुख्यमंत्री ने यह बात कही है। पिछली कैबिनेट में उन्होंने कहा था कि ग्रामोदय से भारत उदय शुरू हुआ, लेकिन 14 अप्रैल को मंत्री उद्घाटन के दिन पहुंचे ही नहीं। इसके बाद 21 व 22 अप्रैल को मोहनखेड़ा (धार) में हुई बैठक में भी मुख्यमंत्री ने मंत्रियों पर तीखे कटाक्ष किए थे। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि जो पार्टी की दो दिन की बैठक में नहीं रुक सकते वे इस्तीफा दे दें। इसी कड़ी में मंगलवार को कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने मंत्रियों से बात की।
सोमवार को संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा के जरिए मंत्रियों को सूचना दी गई कि सीएम बात करेंगे। यहां बता दें कि मंगलवार की कैबिनेट में भी मंत्री उमाशंकर गुप्ता, रुस्तम सिंह, संजय पाठक और सूर्य प्रकाश मीणा गैरहाजिर रहे। उमाशंकर गुप्ता 23 अप्रैल से ग्वालियर में एक कार्यक्रम के लिए गए हैं। रुस्तम सिंह ने कहा, मोहनखेड़ा में ही मुख्यमंत्री से मंजूरी ली थी। मंगलवार को गुर्जर महापंचायत थी। संजय पाठक अमरकंटक में प्रधानमंत्री की यात्रा के आयोजन में लगे हैं। सूर्य प्रकाश मीणा कैबिनेट बैठक में नहीं पहुंच पाए।