अतुल शुक्ला/जबलपुर। आने वाले दिनों में इंदौर से जबलपुर के बीच प्रदेश की पहली निजी ट्रेन दौड़ेगी इसके लिए मप्र सरकार और रेलवे के बीच जल्द ही एक एमओयू होने जा रहा है। राज्य सरकार और पश्चिम मध्य रेलवे के बीच एक ज्वाइंट वेंचर बनेगा जिसके तहत एसपीवी (स्पेशल परपज व्हीकल) कंपनी बनाई जाएगी जो इस पूरे प्रोजेक्ट का काम देखेगी। एसपीवी इस परियोजना के लिए निजी क्षेत्रों से पैसा भी जुटाएगी और ट्रैक बिछाने से लेकर उस पर ट्रेन चलाने तक की सारी जिम्मेदारी भी उसी पर होगी।
इस परियोजना के तहत पहली ट्रेन इंदौर से जबलपुर के बीच दौड़ेगी, इसके लिए 450 किमी की नया रूट तैयार होगा। इस परियोजना में करीब 4600 करोड़ का खर्च आएगा। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने भी गुरुवार को जबलपुर में इस बात की पुष्टि की कि मप्र में नए रेल प्रोजेक्ट शुरू करने रेलवे जल्द ही प्रदेश सरकार के साथ समझौता करने जा रही है।
किसकी क्या भूमिका
रेलवे- राज्य सरकार के साथ मिलकर फंड जुटाने के लिए वेंचर बनाएगी। इसमें उसका भी शेयर होगा। इसके अलावा ट्रेन के कोच उपलब्ध कराना, संचालन, सुरक्षा की जिम्मेदारी।
राज्य सरकार- रेलवे के साथ मिलकर नई रेल परियोजना तय करने की जिम्मेदारी। वेंचर में राज्य सरकार भी पूंजी लगाएगी।
एसपीवी- परियोजना की लागत को निजी कंपनियों से पैसा जुटाने से लेकर ट्रेनों को फायदे में दौड़ाने का काम करेगी। ट्रेन किराया, टाइमिंग और पैसेंजर सुविधा तय करेगी।
क्यों पड़ी जरूरत
एफडीआई यानी फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट के विरोध को देखते हुए यह रास्ता निकाला गया है। अब रेलवे बोर्ड विदेशी कंपनियों की मदद लेने की बजाए राज्यों की मदद से स्टेट डायरेक्ट इंवेस्टमेंट पर काम करेगी।
ऐसी होगी एसपीवी
प्रदेश में बनने वाले रेल प्रोजेक्ट पर सिर्फ रेलवे निवेश नहीं करेगा। इसके लिए राज्य सरकार और रेलवे (जोन) के बीच एमओयू साइन होगा। इसके बाद एक ज्वाइंट वेंचर बनेगा। यह एक की तरह कंपनी होगा,जिसका चेयरमैन,स्टॉफ और बजट सब कुछ रेलवे बोर्ड और जोन से अलग होगा।
यह है स्थिति
जबलपुर-इंदौर के नया रेल रूट प्लान में जबलपुर-गाडरवारा तक पुराना रेल रूट होगा।
गाडरवारा स्टेशन से इंदौर के लिए नया रूट निकाला गया है।
सर्वे लगभग पूरा हो गया है, अब रेलवे बोर्ड इसके दूसरे पहलू देखकर स्वीकृति देगा।