नई दिल्ली। भाजपा अक्सर कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाती है। राहुल गांधी इस आरोप का करारा जवाब देना चाहते हैं अत: उन्होंने तय किया है कि वो कांग्रेस संगठन में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे। कोई भी दूसरा नेता उनके खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र होगा। यदि वो जीते तब ही अध्यक्ष बनेंगे। बता दें कि पार्टी के दिग्गज नेता राहुल को कमान सौंपने के मामले में दो राय हैं। एक वर्ग चाहता है कि राहुल गांधी अध्यक्ष बनें जबकि दूसरे वर्ग को लगता है कि कांग्रेस की कमान राहुल गांधी के हाथ में जाना उचित नहीं होगा।
राहुल गांधी सभी लोगों को यह साबित करना चाहते हैं कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है, और एक नेहरू गांधी के परिवार के वारिस बनकर वह अध्यक्ष पद प्राप्त नहीं करना चाहते। राहुल के इस फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता काफी खुश हैं। उनका कहना है कि राहुल गांधी के चुनावी मैदान में उतरने के बाद उनके समक्ष कोई मजबूद उम्मीदवार नहीं खड़ा हो पाएगा और अंत में राहुल गांधी को अध्यक्ष पद लेना पड़ेगा। इसी के साथ राहुल गांधी का कहना है कि वह अध्यक्ष पद के चुनाव के जरिए उन सभी लोगों की बोलती बंद कराना चाहते हैं, जिन्होंने कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाया है। राहुल का यह निशाना बीजेपी की तरफ था। क्योंकि बीजेपी कई बार अपने बयानों में कह चुकी है कि कांग्रेस में परिवारवाद होता है।
आपको बता दें कि राहुल कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों का चयन भी चुनाव के जरिए कराना चाहते हैं। वहीं कांग्रेस को इस साल के आखिर तक संगठन के चुनाव पूरे करने होंगे। यह समय सीमा चुनाव आयोग द्वारा तय की गई है। कांग्रेस फिलहाल पार्टी के सदस्य बनने के लिए अभियान चला रही है। इस अभियान की आखिरी तीथि 15 मई रखी गई है। इसके बाद ब्लॉक, जिला और प्रदेश के लिए प्रतिनिधियों का चयन किया जाएगा। इन्हीं प्रतिनिधियों द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा।