भोपाल। लोगों को भाषण सुनाने के शौकीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लक्झरी आयोजनों और उनके विज्ञापन अभियानों पर भले ही सरकार करोड़ों खर्च कर रही हो परंतु 9 साल की मासूम रेप पीड़िता के पुनर्वास के लिए शिवराज सरकार के पास बजट नहीं है। कोर्ट ने इस केस में आरोपी को सजा तक दे दी है, लेकिन सरकार ने पुनर्वास नहीं दिया। मासूम का पिता छह माह से मदद हासिल करने दफ्तरों के चक्कर काट रहा है लेकिन कोई सुनवाई को तैयार नहीं है। अफसरों का कहना है कि बजट खत्म हो गया है।
पत्रकार अनिल शुक्ला की रिपोर्ट के अनुसार अवधपुरी इलाके में पिछले साल मार्च में हुई इस वारदात के आरोपी प्रमोद शर्मा को कोर्ट ने 21 नबंवर 2016 को मरते दम तक कैद की सजा देकर जेल भेज दिया था। साथ ही मासूम के अच्छे भविष्य के लिए मध्यप्रदेश पीड़ित प्रतिकर (हर्जाना) योजना-2015 के तहत शीघ्र समुचित आर्थिक मदद मुहैया कराने के आदेश राज्य सरकार को दिए थे।
दफ्तरों के चक्कर काटकर थक चुके पीड़िता के पिता ने अंतत: महिला दिवस से ठीक एक दिन पहले 7 मार्च को मुख्यमंत्री समस्या निवारण केंद्र और अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग और महिला सेल में मदद नहीं मिलने की शिकायत भी कर दी।
बावजूद इसके एक माह बाद भी अब कोई सुनवाई नहीं हुई। अब मासूम के पिता कहते हैं कि अफसरों के पास जाता हूं तो मुझे ऐसा लगता है जैसे कि मैं भीख मांगने आया हूं, कई बार अफसर कुछ दिन और इंतजार करने का आश्वासन देते हैं तो कभी फटकार लगा देते हैं।
इधर बेटी की हालत यह है कि घटना को याद कर अब भी वो घबराकर नींद से उठ जाती है और जोर-जोर से रोने लगती है। रिश्तेदार कहते हैं बेटी का किसी अच्छे डॉक्टर से इलाज कराओ, लेकिन मजदूरी से परिवार का भरण-पोषण करूं या बेटी का इलाज कराऊं कुछ समझ में नहीं आता।
इनका कहना है
अदालत के आदेश से पूर्व पीड़ित के पिता को 90 हजार रुपए की मदद दे दी गई थी। अदालत के आदेश पर पीड़िता के पुनर्वास के लिए 2 लाख रुपए बतौर प्रतिकर के रूप में दिए जाना है, उनका आवेदन अभी लंबित है। लेकिन हमारे पास वर्तमान में कोई बजट नहीं हैं। जैसे ही राज्य शासन से बजट आवंटित होगा, प्रतिकर राशि का भुगतान कर दिया जाएगा।
अरुणा मोहन राव,
एडीजी महिला पुलिस सेल