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पंचायत पदाधिकारियों से उन्होंने खुला विवाद किया। इस दौरान मौजूद पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव और लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह ने दोनों पक्षों को समझाने की बार-बार कोशिश की, लेकिन विवाद बढ़ता ही गया। संगठन पदाधिकारियों ने जुलानिया पर कई आरोप लगाए तो उन्होंने हर एक का सीधा जवाब भी दिया। पंचायत सचिव और सरपंचों का एक धड़ा कई दिनों से अध्यापकों के समान वेतनमान सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल कर रहा है। इसका असर ग्रामोदय अभियान पर भी पड़ रहा है।
हड़ताल को लेकर कोई समाधान न निकलता देख मंगलवार को पंचायत प्रतिनिधियों ने पहले लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह से मुलाकात की और फिर वे पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव के कमरे में पहुंचे। जुलानिया यहां पहले से मौजूद थे। कुछ देर बार रामपाल सिंह भी वहां पहुंच गए। जुलानिया पर जब कर्मचारी नेताओं और सरपंचों ने आरोप लगाना शुरू किया तो वे उखड़ गए।
जुलानिया: साहब मत कहो, जो सोशल मीडिया में कहते हो, वही कहो। मेरी शवयात्रा निकाली जा रही है। क्या-क्या कहा जा रहा है सोशल मीडिया पर देख लो। बड़े-छोटों का लिहाज होता है या नहीं। मान-सम्मान कुछ होता है या नहीं। मैं मप्र छोड़ दूंगा पर आत्मसम्मान नहीं। फिर गुस्से में फाइलें टेबल पर रख दीं और कहा कि दोनों बातें नहीं हो सकती हैं। आपके बिना भी काम चल सकता है। ग्रामोदय पिछले साल से अच्छा चल रहा है।
जवाब: हम चुने हुए प्रतिनिधि हैं और हमारे साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है।
पंचायत सचिव संघ के दिनेश शर्मा: हम मिलने जाते हैं तो ये मिलते तक नहीं हैं। फूल देने गए तो कहा रिश्वत दे रहे हो। हमारी बार-बार टीम भेजकर जांच कराई जा रही है। पंचायत सचिवों को पांच-पांच माह से वेतन नहीं मिला है। 500 साथियों का ब्लडप्रेशर बढ़ गया है।
सोमेश गुप्ता (सरपंच संघ के अध्यक्ष): देख लो सर... चुने हुए प्रतिनिधियों से किस तरह बात हो रही है।
जुलानिया: आपकी मांग है कि जुलानिया हटाओ तो हटवा दो न।
धरम सिंह परमार (पंच-उप सरपंच संघ के अध्यक्ष, हाथ जोड़कर): भाजपा को मध्यप्रदेश से बाहर मत कर देना।
जुलानिया: आपको बहुत बड़ी गलतफहमी है कि आपकी वजह से भाजपा सरकार में है।