भोपाल। आरटीई कानून भले ही शिक्षकों की भर्ती में डीएड और बीएड की पात्रता तय करता हो, लेकिन राज्य सरकार इन पात्रता शर्तों से अनुसूचित जाति जनजाति के उम्मीदवारों को छूट देने जा रही है, जिसका विरोध शुरू हो गया है, सामान्य पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग डिग्रीधारी युवाओ ने इसका विरोध शुरू हो गया है, युवाओं का कहना है व्यापम घोटाले की बजह से डिग्रीधारी अनारक्षित युवा अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है, दूसरी ऒर शिवराज सरकार जातिकार्ड खेलकर अनारक्षित वेरोजगारो का शोषण कर रही है।
तो हम कोर्ट जाएंगे..
अनारक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे युवाओ का कहना है, कि यदि ऐसा हुआ तो हम सुप्रीम कोर्ट तक जायेंगे, अगर पूरी भर्ती प्रक्रिया रूकती है तो रुक जाए, मगर हम अन्याय नहीं सहेंगे,
उल्लेखनीय है क़ि आरटीई कानून में पात्रता की ये शर्तें तय करने की वजह शिक्षा के स्तर में सुधार हो लाना है किन्तु विधानसभा के बजट सत्र में सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य ने इस बारे में घोषणा की थी। इसके बाद इस व्यवस्था को लागू किए जाने की तैयारी की जा रही है। जिसका विरोध शुरू हो गया है, वैसे भी प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर केवल आरक्षित वर्ग के पक्ष में खड़े होने, उच्च शिक्षा में सरकारी सहायता केवल sc st छात्रों को कोचिंग उच्च शिक्षा में पूर्ण सहायता देने, विप्रो से पुजारी का तमगा छीनने के तुगलकी के फैसलो से सामान्य,पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय सरकार से बुरी तरह नाराज है
क्या कहते हैं शिक्षाविद
शिक्षाविद सरकार के इस कदम को ठीक नहीं मान रहे हैं, उनका कहना है कि जब केंद्र का कानून बना हुआ है तो उसमें संशोधन की क्या जरूरत है। फिलहाल प्रदेश में शिक्षकों की भर्तीमें उम्मीदवार को डीएड और बीएड किया जाना आवश्यक है। यदि सरकार बगैर डीएड और बीएड के शिक्षकों को भर्ती करना चाहती है तो उसे इस एक्ट में संशोधन के लिए विधानसभा में बिल लाने की जरूरत होगी।
क्या कहता है सामान्य प्रशासन विभाग
विशेष परिस्थितियां निर्मित होने पर ही यह कदम उठाना पड़ रहा है। वह भी जनजाति के भाषाई शिक्षकों के मामले में। इसके लिए नियमों में शिथिलता बरत रहे हैं जिसके अधिकार प्राप्त हैं। अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को भी यह छूट दिए जाने पर विचार कर रहे हैं। यह तय है कि बगैर डीएड, बीएड भर्ती होती है तो उन्हें नौकरी में आने के बाद पात्रता की शर्तें पूरी करनी होंगी। उन्हें डी एड व बी एड बाद में करवाया जाएगा।’
लालसिंह आर्य, सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री