
2708 खातों में करोड़ों का लेन देन
सूत्रों के मुताबिक, एसबीआई की मेन ब्रांच में 8 नवंबर 2016 से 30 दिसम्बर 2016 के बीच 2708 खातों के जरिए करोड़ों रुपये का काला धन ठिकाने लगाया गया। इस दौरान इन खातों में 794 बार एक लाख या उससे ज्यादा की रकम का लेन देन हुआ। जांच में पता चला कि बैंक ने इस दौरान वर्षों से निष्क्रिय 267 खातों को बिना वैध आईडी के एक्टिव कर दिया। बाद में इन खातों से संदिग्ध लेन देन हुआ।
दो हजार से ज्यादा नए खातों में खेल
आरोप है कि बैंक ने नोटबंदी के दौरान 2441 नए खाते भी खोले। इनमें 53 चालू खाते, 667 बचत खाते, 94 जनधन खाते, 1518 एफडी खाते, 50 पीपीएफ खाते, 13 फेस्टिवल खाते, दो सीनियर सिटीजन खाते और एक सरकारी खाता शामिल है। इनमें से तमाम खातों को खोलते वक्त केवाईसी नियमों को ताक पर रख दिया गया। इनमें से कई खाते ऐसे बताये जा रहे हैं जिनमें करोड़ों रुपये के पुराने नोट किए गए। साथ ही जमकर नोट बदले भी गए।
तीन दिन की थी सीबीआई ने जांच
बैंक में गड़बड़ी की शिकायत पर सीबीआई की टीम पहली जनवरी को बरेली पहुंची थी। तीन दिन तक टीम ने बैंक में तमाम दस्तावेज चेक किए थे। इसके साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ भी की थी। सीबीआई की टीम ने बैंक के खाताधारकों से भी पूछताछ की थी।
ओवरराइटिंग से गहराया शक
सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान सीबीआई के अधिकारियों ने कैश वाउचर, वाल्ट रजिस्टर आदि रिकॉर्ड चेक किए। कई कागजों में ओवर राइटिंग पकड़ी गई। वाल्ट रजिस्टर के रिकॉर्ड में भी गड़बड़ी पकड़े जाने की सूचना है। इसी आधार पर सीबीआई ने अज्ञात के खिलाफ आपराधिक साजिश,धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण एक्ट की धाराओं में केस कराया है।
कोर्ट में दूंगा हर आरोप का जवाब
मुकदमे के बारे में बात करने पर स्टेट बैंक के डीजीएम एसके बडेरा ने कहा कि मैं इस मुकदमे से हैरान हूं। नए खाते खोलना या पुराने खाते को एक्टिव करना कब से गैर कानूनी हो गया। सीबीआई ने एक से तीन जनवरी तक जांच की थी। उसके बाद जो रिपोर्ट आई थी, उसमें सब कुछ सही बताया गया था। अब तीन महीने बाद किस आधार पर केस लिख दिया गया। हमने पूरी पारदर्शिता के साथ काम किया है। कोर्ट में हर बात का जवाब दिया जाएगा।
पकड़ में आएंगे कई बड़े सुरमा
नोटबन्दी के दौरान बैंकों पर जमकर गड़बड़ी के आरोप लगे थे। एक बड़ा आरोप यह था कि बैंकों में रखी लोन फाइलों से आईडी निकालकर एक-एक ब्रांच में लाखों रुपये बदले गए हैं। इन सभी आरोपों को बैंकों ने नकार दिया था। सीबीआई के रुख के बाद अब बड़े बड़े सूरमाओं के पकड़े जाने की उम्मीद बढ़ गई है।
50 दिन में जमा हुआ था 39.83 अरब रुपया
500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद बरेली के बैंकों में रुपये की खूब बरसात हुई। 50 दिनों में बरेली के बैंकों में कुल 39.83 अरब रुपया जमा हुआ था। जिन ब्रांच में हफ्ते में भी दस लाख रूपये जमा नहीं होते थे, वहां एक एक दिन में 10-10 लाख रूपये जमा हुए थे।
भ्रष्टाचार पर चोट: सीबीआई के निशाने पर अभी कई और बैंक
स्टेट बैंक अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद अभी जिले के कई और बैंक भी सीबीआई के निशाने पर हैं। सीबीआई ने 15 दिसंबर से लेकर पांच जनवरी तक आठ बैंकों में जांच की थी। अब जांच का रिजल्ट आने लगा है।
नोटबन्दी के दौरान बैंकों पर जमकर गड़बड़ी के आरोप लगे थे। एक बड़ा आरोप यह था कि बैंकों में रखी लोन फाइलों से आईडी निकालकर एक-एक ब्रांच में लाखों रुपये बदले गए। आरोप के बाद बैंकों ने अपनी इंटरनल विजिलेंस से इसकी जांच भी करवाई। जांच में सब आरोपों को नकार दिया गया था। उसी बीच सीबीआई की टीम भी एक्टिव हो गई थी। टीम ने बरेली में लगभग 20 दिनों तक रहकर बैंकों की छानबीन की थी। शहर से लेकर देहात तक की ब्रांचों को खँगाला गया था। कई ब्रांचों पर नोट बदलने की लिमिट का पालन नहीं करने का आरोप भी लगा था। इसके लिए सीबीआई टीम ने पुराने बाउचर चेक किये थे।
ब्रांच कम और पैसा ज्यादा
बरेली में तमाम बैंक ऐसे निकले जिनकी ब्रांचे गिनती की थी, मगर उनमें करोड़ों रुपए जमा हुए थे। माना जा रहा है कि फेक अकाउंट खोलकर यह रुपया जमा किया गया। रुपया जितनी तेजी से जमा हुआ, उतनी ही तेज़ी से उसको निकाल भी लिया गया। इस कारण से सीबीआई का शक और बढ़ गया।
साधारण में बदले जनधन खाते
कुछ बैंक मैनेजरों ने बिना अनुमति जनधन खातों को साधारण खातों में बदल दिया। जनधन खातों के रडार पर आने के कारण ऐसा किया गया। उसके बाद इन खातों में खूब रुपया जमा किया गया। अधिकांश खातों में ढाई लाख से कम रुपये ही जमा किये गए।
सीसीटीवी फुटेज से हुई जांच
काले धन को सफेद करने में बैंक के छोटे कर्मचारियों से लेकर आला अधिकारियों तक पर सीबीआई ने शिकंजा कसा है। सीबीआई तमाम ब्रांच की सीबीआई फुटेज भी अपने साथ ले गई थी। उनकी भी बारीकी से जांच की गई। सीबीआई के रुख के बाद अब बड़े बड़े सूरमाओं के पकड़े जाने की उम्मीद बढ़ गई है।