नागौर। SBI GENERAL INSURANCE कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फौरम ने फैसला सुनाया है। कंपनी पर आरोप है कि उसने एक व्यक्ति को बिना नियम शर्तें देखे फटाफट बीमा कर दिया और जब उसकी मौत हो गई तो उसकी पत्नी को क्लैम देने से इंकार करते हुए बहाने बनाने लगी। कंपनी का कहना था कि बीमित व्यक्ति मानसिक रोगी था इसलिए बीमा का लाभ नहीं दिया जा सकता। जिला उपभोक्ता मंच ने बीमा कंपनी को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए 15 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही बीमा राशि का भुगतान मय ब्याज के करने के आदेश दिए हैं।
अधिवक्ता राजेश चौधरी और रमेश कुमार ढाका ने बताया कि 28 नवंबर 2013 को नागौर तहसील के श्यामसर गांव के मालाराम जाट ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी से 1 लाख रुपए का व्यक्तिगत बीमा करवाया था। इसकी प्रीमियम भी समय पर जमा करवाई। 24 जुलाई 2014 को मालाराम की पैर फिसलकर टांके में गिरने से मौत हो गई। परिवाद शांति पत्नी मालाराम ने बीमा कंपनी को पॉलिसी का लाभ देने के लिए आवेदन किया। कंपनी ने यह कह बीमा राशि देने से मना कर दी कि मालाराम मानसिक रोग से ग्रसित था। इसलिए पॉलिसी का लाभ नहीं दिया जा सकता।
इस पर शांति देवी ने पिछले साल 18 अप्रैल को उपभोक्ता मंच में परिवाद दायर किया। मंच के अध्यक्ष ईश्वर जयपाल, सदस्य राजलक्ष्मी और बलवीर खुड़खुड़िया ने दोनों पक्षों के तर्क को सुनने के बाद निर्णय सुनाया कि परिवादी शांति पॉलिसी की हकदार है। इसलिए इस पॉलिसी के लाभ के साथ परिवाद दर्ज होने के दिनांक से निर्णय की दिनांक तक 9 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान किया जाए। परिवाद खर्च और मानसिक परेशानी के तौर पर 15 हजार रुपए देने के भी आदेश दिए।