भोपाल। स्मार्टफोन कई लोगों की लत बन गया है लेकिन यह लत कई तरह की बीमारियों को भी जन्म दे रहा है। चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन समेत दर्जनों ऐसी मानसिक बीमारियां हैं जिनके मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इसका कारण है स्मार्टफोन की लत। विश्व स्वास्थ्य दिवस के एक दिन पहले एम्स में पत्रकारों से बातचीत में बीएमएचआरसी की मनोचिकित्सक (साइकेट्रिस्ट) डॉ. रजनी चटर्जी ने व अन्य डॉक्टरों ने बताया कि सोशल मीडिया का बढ़ता उपयोग, देर रात तक मोबाइल के इस्तेमाल से मानसिक बीमारियां बढ़ी हैं। साथ ही घरों में विवाद भी बढ़ा है। बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने इस साल विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम 'डिप्रेशन' रखी है।
डिप्रेशन पर यहां आयोजित एक कार्यशाला में डॉक्टरों ने बताया कि युवा जिसतरह से मोबाइल के आदी होते जा रहे हैं, यह खतरे की घंटी है। मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से उनमें चिड़चिड़ापन, थकान, गुस्सा, चिंता जैसी दिक्कतें हो रही हैं। डॉक्टरों ने बताया कि 30 से 35 फीसदी लोग ऐसे हैं जो थोड़ी देर के लिए मोबाइल का इस्तेमाल रोक देने पर बेचैन हो जाते हैं। एम्स के डॉ. अरुण कुमार कोंकणे ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 का हवाला देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में 13.9 फीसदी लोग किसी ने किसी तरह की मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं।
मोबाइल व कंप्यूटर के ज्यादा इस्तेमाल से दिक्कतें
सिर दर्द और कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का खतरा।
गर्दन की तकलीफ, मांसपेशियों में दर्द
मोटापा बढ़ना
सुनने की क्षमता पर असर
अनिद्रा की बीमारी