चर्च का आदेश: लड़कियां शॉट्स ना पहनें, लिव इन रिलेशन पाप है, SOCIAL MEDIA से दूर रहें

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। लड़कियों के पहनावे को लेकर विवाद नए नहीं हैं। आए दिन इस पर कोई न कोई खबर पढ़ने को मिल ही जाती है। इस बार केरल के एक चर्च ने लड़कियों के पहनावे पर आपत्ति जताई है। केरल के इडुक्कि डायोसिन बुलेटिन में छपे खत के अनुसार लड़कियों को चर्च में घुटनों से नीचे तक के कपड़े पहनने की नसीहत दी है। इसके अलावा लड़कियों को बाईबिल पढ़ने के दौरान भी छोटे कपड़े न पहनने के लिए कहा गया है। 

मार मैथ्यू अनीकुजिक्कटिल के अनुसार माता-पिता को अपने बच्चों को चर्च अथॉरिटी का सम्मान और उसका पालन करना सिखाया जाना चाहिए। पत्र में आगे लिखा गया कि मांए बच्चों को प्रार्थना करने की शिक्षा दें। इसके अलावा पत्र में लिखा गया कि नवजात बच्चों की बपतिस्मा रस्म जन्म के 8 दिनों के अंदर हो जानी चाहिए। बड़े समारोह के चक्कर में इसे टालने से बचें। 

इसके अलावा लोगों को नसीहत दी गई कि माता-पिता को बच्चों का ईसाई नाम रखना चाहिए इसके अलावा इनका घर में बुलाया जाने वाला नाम भी ईसाई होना चाहिए। पत्र में कहा गया कि लोग बच्चों के सामने पादरी और नन से बहस करने से बचें, ये बच्चों के देवत्व की ओर झुकाव को प्रभावित करेगा। 

पत्र में माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को भौतिक लाभ के लिए प्रोत्साहित न करें। कई युवा ईसाई पवित्रता के बिना शादीशुदा जीवन (लिव इन रिलेशनशिप) का चुनाव करते हैं इसलिए उसमें ईश्वर में विश्वास की कमी है। इसके अलावा पत्र में बच्चों को सोशल मीडिया से भी दूर रखने की हिदायत दी गई। 

पत्र में कहा गया कि वेटिकन में महिलाओं के लिए उचित पोशाक कोड भी है। सिरो मालाबार चर्च के आधिकारिक प्रवक्ता फ्रेड जिमी पूचकट्ट ने कहा कि बिशप के निर्देश से लोगों की धार्मिक आस्था बढ़ेगी। इसके अलावा ये लड़कियों को सार्वजनिक जगहों पर सुरक्षित महसूस करने में मदद करेगा। 

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