
संस्था पूरे भारत में विलुह्य हो रही इस हस्थकला को जीवित रखने का प्रयास कर रही है संस्था द्वारा राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कार्य किए जा चुके है। इस कला का मुख्य उद्देश्य व्यवसायिक शिक्षा को बढावा देना तथा विद्यार्थियो मे छुपी कलात्मक प्रतिभा को निखारना है। श्रीमती राज चौहान ने अपनी कार्यशाला में सुन्दर तथा कलात्मक गुडि़या का निर्माण कराती है गुडि़या का निर्माण हाथ, पैर भाव भंगिमा क्षैत्रीय परिधानो का निर्माण का कार्य तथा सबसे अलग यह है कि वह गुडि़याओ और गुड्डो का चेहरा भी बनाना सिखाती है।
इसके लिए वे चाक वाली मिट्टी तथा सांचे का उपयोग करती है श्रीमती राज चौहान इस कला में दक्ष है तथा विभिन्न विद्यालयो में वे अपनी कार्यशाला का आयोजन कर चुकी है। स्प्रिंगवुड स्कूल में वे 17 अप्रैल से बचो को इन कला की बारिकियों को सिखा रही है। कक्षा छठी से आठवी तक की छात्राएं इस कला को सीख रही है। वही विद्यालय स्टाफ भी इस कला को बड़ी उत्सुकता से सीख रहा है।