
बता दें कि 20 अप्रैल को सांसद अपने सपोर्टर्स के साथ अंबेडकर शोभायात्रा निकाल रहे थे, लेकिन बीच में ही पुलिस ने यात्रा को रोक लिया, जिससे गुस्साए सांसद एसएसपी के घर पहुंच गए और वहां तोड़फोड़ की। बताया जाता है कि सांसद के पास यात्रा की इजाजत नहीं थी। सहारनपुर एसएसपी लव कुमार के आवास से जुड़े सूत्रों ने बताया, "उस वक्त मेमसाब और दोनों बच्चे घर में ही थे। नारेबाजी सुनकर वो डर गए और जोर-जोर से रोने लगे। इसी दौरान तोड़फोड़ की गई।
एसएसपी भगोड़ा है, झूठ बोल रही है उनकी पत्नी

सांसद ने उठाए ये सवाल
बीजेपी सांसद लखनपाल ने कुछ सवाल भी उठाए। कहा, "इस इलाके में कश्मीर की तरह पत्थरबाज पनप रहे हैं और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। हम यूपी को कश्मीर बनाने से रोकना चाहते हैं। अगर हमने शोभायात्रा निकाली तो मुस्लिमों ने पत्थरबाजी क्यों की? अंबेडकर ने जब संविधान सभी के लिए बनाया तो मुस्लिमों को ही इससे छूट क्यों मिलती है? वो पत्थर चलाएं तो संवैधानिक, हम करें तो उपद्रव ?
हमें ऐसी पुलिस नहीं चाहिए जो भेदभाव करती है। हम इसी बात की शिकायत करने एसएसपी आवास गए थे। हमने ही जानकारी दी कि कौन-कौन से मुस्लिम नेताओं और लोगों ने पत्थरबाजी की, लेकिन अब हमें ही गलत साबित किया जा रहा है।
एसएसपी की पत्नी ने बयां किया दर्द
एसएसपी लव कुमार की पत्नी शक्ति कुमार ने 20 अप्रैल की घटना का जिक्र करते हुए कहा, ''मैं अलीगढ़, गोरखपुर, मुरादाबाद जैसे संवदेनशील जिलों में पति के साथ रही, लेकिन सबसे ज्यादा सुरक्षित मानी जाने वाली एसएसपी कोठी पर ढाई घंटे तक जो मंजर मैंने देखा, उससे सहम गई हूं। मैंने अपने 6 और 8 साल के बच्चों की आंखों में जो खौफ देखा, उसे भूल नहीं सकती। पहले कभी वो इतनी जोर-जोर से चीखकर नहीं रोए, जितना उस शाम को।''
दूसरी और तीसरी क्लास में पढ़ने वाले मेरी बेटी और बेटे की आंखें रो-रो कर लाल हो चुकी थीं। कोठी में पूरी तरह से सांसद और उनके समर्थकों का कब्जा हो चुका था। सांसद के समर्थक तोड़फोड़ कर कैंप ऑफिस और आवास के बीच के दरवाजे को खोल कर अंदर गैलरी तक घुस आए थे। उपद्रवियों को देख दोनों बच्चे ये कहते हुए रोने लगे कि मम्मी, पापा को फोन करके जल्दी बुलाओ डर लग रहा है। तभी फॉलोअर ने दौड़ कर दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया।
भीड़ के बीच में जोर-जोर से आवाज आ रही थी कि आज कप्तान को बंगले में घुसने नहीं देंगे, देखते हैं अंदर कैसे आएगा..। ये सुनने के बाद मैं दोनों बच्चों को गोद में लेकर कोठी के पिछले गेट से निकल कर काफी देर तक गाय के पास बैठी रही। तभी कोठी में तैनात एक दारोगा दौड़कर आया और हम तीनों को सर्विलांस सेल दफ्तर में बैठाकर एसएसपी को फोन किया। शाम करीब साढ़े सात बजे बवाल को शांत कराकर जब पति घर पहुंचे तो दौड़कर दोनों बच्चे पापा-पापा कहते हुए उनसे लिपट गए।
परिवार का भयभीत होना स्वाभाविक: SSP
इस मामले पर एसएसपी लव कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा था, ''400-500 के आसपास लोग होंगे, कुछ लोग नारेबाजी भी कर रहे थे। किसी के भी घर में इतने लोग घुस जाएं तो परिवार का भयभीत होना स्वाभाविक है। मेरा परिवार शॉक्ड रह गया कि कैसे इतने लोग घर में घुस आए।
क्या है मामला?
