अटेर और बांधवगढ़ की मशीनें UP से ही आईं हैं: चुनाव आयोग ने की पुष्टि

भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने आज यहां पुष्टि कर दी है कि अटेर एवं बांधवगढ़ में जिन मशीनों का उपयोग मतदान के लिए किया जाना है वो उत्तरप्रदेश से आईं हैं। चुनाव आयोग ने आज यहां जारी प्रेस बयान में कुछ तकनीकी बातें समझाने की कोशिश की है परंतु जो नेता ठीक से ट्वीटर आॅपरेट नहीं कर पाते, उनसे यह उम्मीद करना कि वो वोटिंग मशीनों को तकनीक को समझ पाएंगे, बेमानी होगा। अपना कहना तो सिर्फ इतना है कि जो बैल बदिया हो गया हो, उसे मादा के साथ छोड़ना ही क्यों। 

चुनाव आयोेग ने यहां जारी प्रेस बयान में कहा है कि यूपी से भिंड और उमरिया में उपचुनाव के लिए जो मशीने भेजी गईं हैं वो ईवीएम नहीं बल्कि वीवीपीएटी मशीनें हैं। आयोग ने यह भी बताया कि 45 दिन के भीतर ईवीएम मशीन का स्थानांतरण नहीं किया जा सकता परंतु वीवीपीएटी मशीन के बारे में कोई कानून नहीं है। इसीलिए वीवीपीएटी मशीनों को स्थानांतरित कर दिया गया। आयोग ने यह भी बताया कि यूपी की मशीनें केवल एमपी में ही नहीं बल्कि देश भर में हो रहे उपचुनावों में भेजी गईं हैं। मप्र के अटेर में 435 और बांधवगढ़ में 395 मशीनें भेजी गईं हैं। 

कुल मिलाकर चुनाव आयोग ने यह समझा दिया है कि जिन मशीनों को ईवीएम बताकर हंगामा किया जा रहा है, दरअसल वो ईवीएम है ही नहीं वो तो वीवीपीएटी मशीनें हैं। आयोग ने यह भी बता दिया कि कानून में ईवीएम मशीनों को 45 दिन तक स्ट्रांगरूम में रखने का नियम है। वीवीपीएटी मशीनें इस नियम से आजाद हैं, लेकिन एक सवाल आज भी जिंदा है कि भिंड जिले की अटेर विधानसभा में जो कुछ हुआ वो क्या था। क्यों 3 में से 2 वोट भाजपा को गए। क्यों मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने पत्रकारों को जेल भेजने की धमकी दी। क्यों नहीं यूपी की सारी मशीनों को हटाकर पंजाब की सारी मशीनों को यहां भेज दिया जाता। सारा झंझट ही खत्म हो जाएगा। कोई सफाई भी नहीं देनी होगी। 

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