भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने आम आदमी पार्टी द्वारा लगाए गए आरोप का खंडन जारी किया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि जो मशीनें यूपी से भारत के विभिन्न उपचुनावों में मतदान के लिए भेजी गईं हैं वो यूपी में आरक्षित रखीं गईं थीं। उनमें वोटिंग नहीं हुई थी। अत: इसे 45 दिन से पहले मशीनों के स्थानांतरण वाला गैरकानूनी कदम नहीं कहा जा सकता।
बता दें कि आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग ने 45 दिन की अवधि पूर्ण होने से पहले ही मशीनों को यूपी से भारत के विभिन्न इलाकों में मतदान के लिए भेज दिया। यह नियमों का उल्लंघन है। निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में कानूनी स्थिति स्पष्ट की है। आयोग के अनुसार किसी भी चुनाव में इस्तेमाल किये गये ई.व्ही.एम. जिसमें नियंत्रण तथा मत-पत्र इकाई शामिल है, परिणाम घोषित होने के बाद एक स्ट्रांग-रूम में रखा जायेगा और चुनाव याचिका दाखिल करने की अवधि समाप्त होने तक उसका किसी के द्वारा उपयोग नहीं किया जायेगा।
चुनाव याचिका 45 दिन के भीतर दर्ज की जाती है तथापि वीवीपीएटी मशीनों के मामले में, मुद्रित पेपर स्लिप्स को गिनती के समय प्राप्त कर, पेपर लिफाफों में सील किया जाता है और केवल सीलबंद पेपर स्लिप्स को ई.व्ही.एम. के साथ स्ट्रांग रूम में रखा जाना चाहिए। कानून के तहत् वीवीपीएटी मशीनों को स्ट्रांग-रूम में रखा जाना चुनाव याचिका के प्रयोजन के लिये आवश्यक नहीं है और किसी अन्य चुनाव में उपयोग के लिये उपलब्ध है। उप चुनावों के लिये केवल वीवीपीएटी मशीन जो आरक्षित रखी गई थी और मतदान के दौरान उपयोग नहीं की गई, को पुनः भेजा गया है।