रामजी मिश्र/उत्तर प्रदेश। अखिलेश सरकार में प्राकृतिक आपदा से बर्बाद गेहूँ किसानों का जख्म अभी भर भी नहीं पाया था कि उत्तर प्रदेश में इस बार फिर ओलों ने गेहूँ किसानों के पेट पर लात जड़ दी है। प्रदेश में गेहूँ की फसल अभी पक ही पाई थी कि बेरहम कुदरत ने इस फसल को निशाना बना दिया। शनिवार के दिन मेरठ में भारी ओलावृष्टि से कई गेहूँ किसान बर्बाद हो गए। वहीं रविवार को सीतापुर जिले में शाम को 7:35 के लगभग अचानक बादल उठे और फिर 7:50 पर अचानक बारिश शुरू हो गई। यहाँ तक तो गनीमत थी लेकिन कुदरत ने बारिश के साथ साथ ओले भी बरसा दिए।
यह ओले किसानों की पक चुकी फसल को नुकसान पंहुचाने के लिए काफी थे। अगर देखा जाए तो पिछली बार तबाह गेंहूँ के किसानो को ठीक से आर्थिक सहायता नही दी जा सकी थी और तो और झिनकू जैसे कई किसानों को उत्तर प्रदेश में आत्महत्या तक करनी पड़ी थी। किसानों की बर्बादी का घाव अभी ठीक से भरा भी न था कि कुदरत ने इस साल फिर उनकी साल भर की मेहनत और पूँजी नष्ट कर दी है। खबर लिखे जाने तक बारिश और ओला वृष्टि लगातार जारी है। वहीं गेहूँ बोने वाले किसानों में त्राहि त्राहि मच गई है।
इस आपदा के बाद गेहूँ किसान एकदम बर्बाद हो गया है। प्रदेश के कई जिलों में स्थिति खराब है लेकिन सीतापुर में सबसे अधिक फसल नुक़सान होने का अनुमान है। इधर किसानों को अलर्ट न जारी कर पाने के लिए मौसम विभाग के लचर काम काज पर सवाल उठ रहे हैं। जब आखिर एक दिन पहले मेरठ में ओला वृष्टि हुई थी तो सीतापुर के किसानों को अलर्ट क्यों नहीं किया जा सका। कुछ भी हो उत्तर प्रदेश के किसानों के हाँथ गेहूँ की फसल भले न लगी हो लेकिन आँखों में आँसू जरूर भरे देखे जा सकते हैं।