भोपाल। मप्र में इन दिनों लगातार खबरें आ रहीं हैं कि गुस्साई महिलाओं ने शराब की दुकानों में आग लगा दी। शुरूआत में लगा कि यह विरोध प्रदर्शन है परंतु सूत्रों का दावा है कि यह तो एक बड़ा घोटाला है। माफिया खुद महिलाओं को भेजकर अपनी दुकानों में आग लगवा रहा है। आबकारी विभाग के अधिकारी इस खेल में शामिल हैं। शराब कारोबारियों व अफसरों की यह कारगुजारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उस घोषणा को आधार बनाकर की जा रही है जिसमें उन्होंने कहा है कि जिन दुकानों का विरोध हो रहा है, वहां की दुकानें शिफ्ट करें और जरूरत हो तो ऐसे ठेकेदार की लाइसेंस फीस लौटा दें।
बस मुख्यमंत्री का यही ऐलान सुनहरा मौका बनकर शराब माफिया के सामने आ गया है। जिलों में तैनात आबकारी इंस्पेक्टर से लेकर अधिकारी तक इसमें मलाई काट रहे हैं। इसमें सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान होने जा रहा है। जबकि शराब ठेकेदार काफी फायदे में रहेंगे, क्योंकि इस तरह वो महंगी दुकानों में आग लगवाकर छोटी दुकानों से बड़ी बिक्री कर लेंगे।
ठेकेदार-अफसर गठजोड़ प्रदर्शनकारियों की भी कर रहे मदद
सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे शराब दुकानें बंद करने की मांग करने वाले लोगों के अलावा कुछ ठेकेदार और आबकारी अधिकारियों की ही भूमिका है। ठेकेदार खुद नहीं चाहते कि महंगे दामों पर खरीदी गईं शराब दुकानों का संचालन उन्हें करना पड़े और चूंकि सीएम चौहान ने लाइसेंस फीस लौटाने और दुकानें शिफ्ट करने के संकेत दिए हैं। इसकी आड़ में ये ठेकेदार कुछ अफसरों को अपने साथ मिलाकर महंगी दुकानें बंद कराने के लिए लोगों की मदद से विरोध को बढ़ावा दे रहे हैं। आबकारी अधिकारी इस मामले में साठगांठ के चलते उनकी इच्छा के मुताबिक प्रस्ताव शासन को भेजने की तैयारी में हैं।
नर्मदा किनारे भी छोटी दुकानों से शराब पहुंचाने की जुगत
नर्मदा किनारे बंद की गई 66 शराब दुकानों के मामले में भी यही नीति अपनाई जा रही है। चूंकि सरकार के फैसले के मुताबिक नर्मदा तट से पांच किमी के दायरे में शराब दुकानें संचालित करने पर रोक है पर शराब पीने पर रोक नहीं है। इसलिए ये ठेकेदार छोटी दुकानों के माध्यम से ऐसे इलाकों में शराब की बिक्री बढ़ाना चाहते हैं और बड़ी दुकानों को बंद कराने के लिए जोड़तोड़ कर रहे हैं। गौरतलब है कि सीएम ने प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से शराब बंदी के संकेत दिए हैं।
इन जिलों में हुआ है विरोध
जिन जिलों में अब तक विरोध हुआ और दुकानों में तोड़फोड़ की गई है, उनमें राजगढ़, उज्जैन, दतिया, बैतूल, इंदौर, विदिशा, सागर, गुना, होशंगाबाद, सीहोर, खरगोन, मुरैना, सतना जिले शामिल हैं।