एक बार एक कुत्ते और बैल के बीच शर्त लगी कि जो जल्दी से जल्दी दौडते हुए दो गाँव आगे रखे एक सिंहासन पर बैठेगा वही उस सिंहासन का अधिकारी माना जायेगा, और राज करेगा. जैसा कि निश्चित हुआ था, दौड शुरू हुई कुत्ते को पूरा विश्वास था कि मैं ही जीतूंगा क्योंकि ज़ाहिर है इस बैल से तो मैं तेज ही दौडूंगा. पर आगे किस्मत में क्या लिखा है ये कुत्ते को मालूम ही नही था.
शर्त शुरू हुई , कुत्ता तेजी से दौडने लगा पर थोडा ही आगे गया था कि अगली गली के कुत्तों ने उसे लपकना ,नोंचना ,भौंकना शुरू किया और ऐसा हर गली, हर चौराहे पर होता रहा. जैसे तैसे कुत्ता हांफते हांफते सिंहासन के पास पहुंचा तो देखता क्या है कि बैल पहले ही से सिंहासन पर विराजमान है.
बैल उसके पहले ही वहां पंहुच चुका था और शर्त जीत कर वह राजा बन चुका था.
और ये देखकर निराश हो चुका कुत्ता बोल पडा, अगर मेरे ही लोगों ने मुझे पीछे न खींचा होता तो आज ये बैल इस सिंहासन पर न बैठा होता..😊
Moral of the story
1. अपने लोगों को विश्वास में लो.
2. अपनों को आगे बढने का मौका दो, उन्हें मदद करो नही तो कल बाहरी बैल हम पर राज करने लगेंगे.
3. पक्का विचार और आत्म परीक्षण करो.
4. जो मित्र आगे रहकर होटल के बिल का पेमेंट करतें हैं, वो उनके पास खूब पैसा है इसलिये नही ,बल्कि इसलिये कि उन्हें मित्र पैसों से अधिक प्रिय हैं.
5.ऐसा नही है कि जो हर काम में आगे रहतें हैं वे मूर्ख होते हैं, बल्कि उन्हें अपनी जवाबदारी का एहसास हरदम बना रहता है इसलिये.
6.जो लडाई हो चुकने पर पहले क्षमा मांग लेतें हैं, वो इसलिये नही, कि वे गलत थे बल्कि उन्हें अपने लोगों की परवाह होती है इसलिये.
7.जो तुम्हे मदद करने के लिये आगे आतें हैं वो तुम्हारा उनपर कोई कर्ज बाकी है इसलिये नही बल्कि वे तुम्हें अपना मानतें हैं इसलिये.!