राजू जांगिड़/विशेष | ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार 19 मई वर्ष का 139 वाँ (लीप वर्ष में यह 140 वाँ) दिन है। साल में अभी और 226 दिन शेष हैं। आज के विश्व में कई बड़ी घटनाएं घटी थी जिसमें जमशेदजी नुसरवानजी टाटा का निधन और टोनी ब्लेयर हाउस ऑफ कॉमन्स में हुआ हमला शामिल है। इसके अलावा भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति का जन्म भी हुआ। पत्रकार नाथूराम गोडसे। जिन्होंने विचारधारा के संघर्ष से जीवन की शुरूआत की और जिन्हे महात्मा गांधी के हत्यारे के रूप में सारी दुनिया जानती है।
एक विद्वान पत्रकार आखिर क्यों महात्मा गांधी जैसे महान व्यक्ति का हत्यारा बन गया। आइए कुछ बात करते हैं:
गान्धी-हत्या के मुकद्दमें के दौरान न्यायमूर्ति खोसला से नाथूराम ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर सुनाने की अनुमति माँगी थी और उसे यह अनुमति मिली थी। नाथूराम गोडसे का यह न्यायालयीन वक्तव्य भारत सरकार द्वारा प्रतिबन्धित कर दिया गया था। इस प्रतिबन्ध के विरुद्ध नाथूराम गोडसे के भाई तथा गान्धी-हत्या के सह-अभियुक्त गोपाल गोडसे ने 60 वर्षों तक वैधानिक लड़ाई लड़ी और उसके फलस्वरूप सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रतिबन्ध को हटा लिया तथा उस वक्तव्य के प्रकाशन की अनुमति दी। नाथूराम गोडसे ने न्यायालय के समक्ष गान्धी-वध के जो 150 कारण बताये थे उनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: -
अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के नायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाये। गान्धी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से स्पष्ठ मना कर दिया।
भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गान्धी की ओर देख रहा था, कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचायें, किन्तु गान्धी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया।
६ मई १९४६ को समाजवादी कार्यकर्ताओं को दिये गये अपने सम्बोधन में गान्धी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।
मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दू मारे गये व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गान्धी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।
1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द की अब्दुल रशीद नामक मुस्लिम युवक ने हत्या कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिये अहितकारी घोषित किया।
गान्धी ने अनेक अवसरों पर शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोबिन्द सिंह को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।
गान्धी ने जहाँ एक ओर कश्मीर के हिन्दू राजा हरि सिंह को कश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दू बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।
यह गान्धी ही थे जिन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।
कांग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिये बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गान्धी की जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।
कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से काँग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी पट्टाभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पद त्याग दिया।
लाहौर कांग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।
14-15 1947 जून को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ पहुँच कर प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।
जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे; ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
पाकिस्तान से आये विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।
22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउण्टबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपये की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।
इस दिन हुईं कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं
1892 में बहुचर्चित नाटककार और कवि ऑस्कर वाइल्ड जेल से रिहा किए गए थे।
1971 आज ही के दिन रूस ने मार्स - 2 प्रोग्राम लांच किया था।
1980 की सुबह साढ़े आठ बजे सेंट हेलेना ज्वालामुखी फटा, जिससे नौ लोगों की मौत हुई थी और कई लापता हुए थे।
2004 में आज ही के दिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पर अचानक बैंगनी रंग बनावटी मिसाइल फेंकी गई।
आज जिनका जन्म हुआ था।
1910 में आज ही के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर भारतीय इतिहास के पन्नों में एक काला अध्याय जोड़ने वाले नाथूराम गोडसे का जन्म हुआ था।
1913 में नीलम संजीव रेड्डी का जन्म हुआ जो भारत के छठे राष्ट्रपति थे।
1934 में रस्किन बॉण्ड ,अंग्रेज़ी भाषा के प्रसिद्ध भारतीय लेखकों में से एक हैं।
1881 में कमाल अतातुर्क जो आधुनिक तुर्की के निर्माता थे।
आज के जिनका निधन हुआ था
1997 में सोंभु मित्रा जो फ़िल्म और रंगमंच अभिनेता, निर्देशक और नाटककार थे।
1996 - जानकी रामचन्द्रन जओ प्रसिद्ध तमिल अभिनेत्री तथा तमिलनाडु की भूतपूर्व मुख्यमंत्री।
1904 में आज ही के दिन भारत के पहले उद्योगपतियों में से एक, जमशेदजी नुसरवानजी टाटा का देहांत हुआ था।
1979 में हज़ारी प्रसाद द्विवेदी जो हिन्दी के शीर्ष साहित्यकार थे।
2008 में विजय तेंदुलकर जो भारतीय नाटककार और रंगमंचकर्मी थे।