नई दिल्ली। एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि मोदी सरकार ने अपने तीन साल के कार्यकाल में लोगों का भरोसा जीता है। उनका मंत्रालय 'सबको शिक्षा और अच्छी शिक्षा' देने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने लोगों का भरोसा जीता है। आम तौर पर सरकार के तीन साल होने पर एंटी इनकंबेंसी हावी होने लगती है, लेकिन मोदी सरकार में लोगों का भरोसा लगातार बढ़ा है। यूपीए सरकार में इकॉनमिस्ट पीएम होने के बावजूद महंगाई बेलगाम थी, लेकिन मोदी सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाई है। हमने साबित किया है कि यह सरकार गांव, गरीब, किसान और मजदूर की सरकार है। जावड़ेकर मोदी सरकार के 3 साल पूरे होने पर बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जल्द ही हम पॉलिसी ड्राफ्ट करने के लिए कमिटी का ऐलान कर देंगे। 2017 के अंत तक नई एजुकेशन पॉलिसी आ जाएगी। हम एजुकेशनिस्ट की कमिटी को पूरी स्वतंत्रता देंगे कि वह 2-3 दशकों के हिसाब से मीनिंगफुल एजुकेशन के लिए पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार करें। एजुकेशन के जरिये स्किल डिवेलपमेंट होना चाहिए, साथ ही मानवीय मूल्य भी निखरने चाहिए। एजुकेशन सबकी पहुंच में होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि वैदिक एजुकेशन बोर्ड बनाने अभी ऐसा कोई प्रपोजल नहीं है।
इस साल से सभी स्कूल बोर्ड, यूनिवर्सिटी अपनी डिग्री अकैडमिक डिपॉजिटरी में अपलोड करेंगे। नई डिग्री के साथ ही पुरानी डिग्री भी उसमें अपलोड की जाएंगी। डिग्री में अब स्टूडेंट का फोटो भी होगा, जिससे कोई दूसरा किसी और के नाम की डिग्री का गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।
जावड़ेकर ने कहा कि प्राइवेट स्कूल अगर नियमों के विरुद्ध कुछ करते हैं तो राज्य सरकारें उनके खिलाफ कदम उठा रही हैं। हमारा मकसद है कि सरकारी स्कूलों को इतना अच्छा बना दिया जाए कि पैरंट्स के पास सरकारी स्कूल में बच्चों को भेजने का विकल्प हो। उन्होंने बताया कि केवी में केजी क्लासेस शुरू करने के लिए सिक्किम में प्रयोग शुरू हुआ है। सिक्किम के सरकारी स्कूलों में केजी क्लास भी शुरू की गई है, जिससे पैरंट्स को केजी के लिए बच्चों को प्राइवेट स्कूल में ही भेजने की मजबूरी न हो। यह अच्छा प्रयोग है। हम देश के अलग अलग हिस्सों में शिक्षण मंथन कार्यक्रम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मैं ऐसा नहीं सोचता कि कोई एक भाषा अनिवार्य हो। किस भाषा में पढ़ना है यह बच्चे की चॉइस होनी चाहिए। उन पर कोई भाषा थोपनी नहीं चाहिए। थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला को सही से लागू कराया गया है। स्टूडेंट के पास 22 भारतीय भाषाएं और एक इंग्लिश यानी 23 भाषाओं में से तीन भाषा चुनने का विकल्प होता है। बीच में सीबीएसई ने काफी गड़बड़ कर दी थी। अगर किसी को इन 23 भाषाओं के अलावा कोई फॉरेन लैंग्वेज पढ़नी है तो वह चौथी लैंग्वेज हो सकती है। थ्री लैंग्वेज में भारतीय भाषाएं और इंग्लिश में से ही कोई भाषा होगी।