नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनके रणनीतिकारों ने 2019 में आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दीं हैं। अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला गया है कि 2019 का चुनाव दलित वोटों के सहारे जीता जाएगा अत: मोदी सरकार को दलित प्रिय सरकार साबित होना चाहिए। इसके अलावा देश भर में दलितों के लिए सक्रिय संगठन या तो मोदी के साथ आ जाने चाहिए या फिर उन्हे मृतप्राय: स्थिति में ला दिया जाना चाहिए। कुल मिलाकर आने वाले दिनों ने भाजपा नेताओं का दलित प्रेम एवं मोदी सरकारी की दलित हितैषी योजनाएं सामने आने वालीं हैं। शुरूआत दिल्ली से हो चुकी हैै।
अब तक छोटी-छोटी नौकरियों के सहारे दलित वोटबैंक बैंक को लुभाने की कोशिश करने वाली राजनीतिक पार्टियों से अलग भाजपा इसी प्लानिंग के चलते उन्हें आत्मनिर्भर बनाने पर काम कर रही है। पार्टी के एक उच्चस्तरीय पदाधिकारी बताते हैं कि हमारी कोशिश है कि उनके लिए स्वरोजगार के अवसर पैदा किए जाएं, ताकि वह आत्मनिर्भर हो सकें। इससे आने वाली पीढ़ियों के पास नौकरी में जाने के साथ घर के रोजगार को अपनाने का भी विकल्प होगा। इसका सीधा फायदा उनके तंग आर्थिक हालात सुधारने को बेहतर बनाने में होगा।
अच्छी बात यह भी है कि इस काम मे भाजपा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का साथ भी मिला है। संघ की सहायता से दलितों के बीच पहुंच इस रणनीति पर काम किया जाएगा। इसकी शुरुआत दिल्ली से करने की तैयारी है। इस रणनीति को अमलीजामा पहनाने की सुगबुगाहट बीते रविवार को उस वक्त लगी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम को सुनने के लिए अमित शाह दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के साथ आरके पुरम स्थित रविदास झुग्गी बस्ती पहुंचे।
भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि अभी तक झुग्गी बस्तियों और अति पिछड़े दलित कांग्रेस पार्टी के परंपरागत वोटबैंक समझे जाते थे लेकिन साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से इनका रुझान और विश्वास भाजपा की तरफ बढा है। ऐसे में पार्टी अपने स्तर पर मेहनत बढ़ाती है और दलितों के हित में बेहतर काम करती है तो साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हम और बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।