भोपाल। दुश्मन के दिलों मे दहशत का दूसरा नाम भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग 21 अब भोपाल के यातायात पार्क में आ गया है। बच्चे अब कभी भी इसे नजदीक से देख सकते हैं। मध्यप्रदेश की नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने भारतीय वायु सेना की मध्य कमान के एयर ऑफीसर कमांडिंग इन चीफ श्री एसबीपी सिन्हा, महापौर श्री आलोक शर्मा, विधायक श्री सुरेन्द्रनाथ सिंह एवं निगम आयुक्त श्रीमती छवि भारद्वाज की उपस्थिति में इसका लोकार्पण किया।
अब सुखोई-7 भी आएगा
श्रीमती माया सिंह ने सेनाओं के इतिहास की जानकारी एवं प्रदेशवासियों की प्रेरणा हेतु राजधानी के शौर्य स्मारक में भी भारतीय वायु सेना के विमान की स्थापना हेतु एयर मार्शल श्री सिन्हा से आग्रह किया जिस पर तत्काल ही श्री सिन्हा ने शौर्य स्मारक में सुखोई-7 विमान उपलब्ध कराने हेतु आश्वस्त किया। इस अवसर पर एयर वाईस मार्शल श्री राजेश इस्सर, एयर कमोडोर श्री एच.ए. राठेर, निगम के अपर आयुक्त श्री एम.पी.एस. अरोरा, महापौर परिषद के सदस्य श्री कृष्ण मोहन सोनी, श्री सुरेन्द्र बाड़ीका, श्री महेश मकवाना, श्री दिनेश यादव, श्री शंकर मकोरिया, जोन अध्यक्ष श्री राजेश खटीक, पार्षद श्रीमती मीना यादव, श्रीमती शमीम नासिर, श्री लीलाकिशन माली सहित बड़ी संख्या में सेना के अधिकारी, गणमान्य नागरिक व निगम अधिकारी मौजूद थे।
लड़ाकू विमान मिग-21 की कहानी
पचास साल पहले 1963 में भारत के आकाश में पहली बार सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 की गरज सुनाई दी थी। चीन के हमले से दो महीने पहले अगस्त 1962 में सोवियत संघ से मिग-21 विमान खरीदने का समझौता किया गया। पहली मिग-21 स्क्वाड्रन ने 1963 में चंडीगढ़ से शुरुआती उड़ान भरी। एक इंजन वाले इस जेट विमान ने 1965 व 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में दुश्मन को ना केवल धूल चटाई बल्कि उसके दिलों में ऐसी दहशत जमाई कि फिर कभी पाकिस्तान ने भारत की सीमाओं पर सैनिक हमले की हिम्मत नहीं जुटा पाई। आज भी वो जेबकतरों की तरह यहां वहां आतंकवादियों को भेजता है। सीधे मुकाबले की बात आते ही घबरा जाता है।
मिग-21 विशेषता
एक शक्तिशाली इंजन के साथ इसकी अधिकतम गति किमी / घंटा 1900 है। यानि से हवा से भी तेज गति से उड़ता है। आपकी सामान्य आखें इसे उड़ते हुए देख ही नहीं सकतीं। यह पूरी तरह अपने पायलट के नियंत्रण में रहता है और लक्ष्य को भेदने की अचूक क्षमता रखता है। यह आसमान में हजारों किलोमीटर की ऊंचाई से अचानक नीचे की तरफ गिराया जा सकता है और जमीन से कुछ सैंकड़ा मीटर की ऊंचाई से फिर उड़ाया जा सकता है। यह टारगेट के बहुत पास आकर भी नष्ट कर देता है और बहुत दूर से भी इसका निशाना अचूक है।