अध्यापकों को पहले एरियर के 4 लाख दिए, अब ब्याज सहित 9 लाख की वसूली

Bhopal Samachar
मंदसौर। जिले में गुरुजीयों को पहले तो कोर्ट के निर्देश का हवाला देकर सहायक अध्यापक बना दिया। अब उन्हीं से ब्याज सहित वसूली किए जाने का मामला सामने आया है। इसमें भी प्रक्रियाएं अलग-अलग अपनाई जा रही हैं। वसूली जिला शिक्षाधिकारी के निर्देश पर की जा रही है। जानकारों के अनुसार इस तरह की वसूली के लिए शासन स्तर से कोई निर्देश नहीं हैं और ना ही जिला शिक्षाधिकारी को कोई अधिकार है। मामला प्रकाश में आने के बाद अब शिक्षाधिकारी नियम देखने की बात कह रहे हैं। 

कार्यालय जपं मंदसौर व सीतामऊ ने 2013 में 17 गुरुजीयाें को सहायक अध्यापक का वेतनमान दिए जाने की स्वीकृति दी। इसमें 12 अप्रैल 2013 को हाईकोर्ट द्वारा दिए निर्देश का हवाला दिया है। बताया कि गारंटी शालाओं में कार्यरत गुरुजीयाें को उनके नियुक्ति दिनांक से शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के समकक्ष वेतन भत्ते पात्रतानुसार दिए जाते हैं। तत्कालीन सीईओ पी.सी. पाटीदार ने सीतामऊ व मंदसौर में गुरुजीयाें को वेतनमान देने की स्वीकृति दी। राज्य शासन ने हाईकोर्ट के इस निर्देश को अब तक चुनौती नहीं दी। बावजूद डीईओ ने 7 फरवरी 2017 को 9 संकुल में पदस्थ 17 गुरुजीयाें से वसूली के निर्देश जारी कर दिए। लीलदा में पदस्थ चेतन शर्मा ने बताया पूर्व में जारी निर्देश के अनुसार उन्हें साढ़े 4 लाख रुपए मिले थे। अब वसूली 9 लाख रुपए की जा रही है। 

शिक्षक संघ भी आया विरोध में
वसूली को लेकर शिक्षक संघ भी विरोध में आ गया है। शिक्षक संघ मप्र के प्रांतीय संरक्षक रामकृष्ण नवाल ने बताया 1997 से 2003 के बीच गुरुजीयाें की नियुक्ति हुई थी। छत्तीसगढ़ में 10 मई 2006 को शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के पद पर नियुक्ति कर दी। इसलिए तत्कालीन जनपद सीईओ मंदसौर व सीतामऊ ने 1 अप्रैल 2007 को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति कर दी। तत्कालीन डीईओ ने इनका एरियर भुगतान करने के लिए राशि आवंटित कर दी। दोनों अधिकारी न्यायालय के आदेश का पालन करने में सहमत थे। अधिकारी व शासन से हुई प्रक्रियागत चूक के चलते गुरुजीयाें को उत्तरदायी नहीं बनाया जा सकता और ना ही उसने किसी प्रकार की वसूली की जा सकती है। 

मैं नियम देखकर ही कुछ कह सकता हूं 
मैंने यदि कोई निर्देश दिए हैं तो उसके लिए मुझे शासन से ही निर्देश मिले होंगे। अब यह निर्देश किस नियम के तहत जारी हुए, यह तो देखने के बाद ही बता सकूंगा। 
बीएस पटेल, 
जिला शिक्षाधिकारी मंदसौर 

सुनवाई किए बिना वसूली नहीं की जा सकती 
मप्र उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर ने याचिका क्रमांक 5219/2015 आदेश दिनांक 5 अगस्त 2015 में लोकेंद्र पालसिंह विरुद्ध मप्र शासन में 31 अक्टूबर 2014 का उदाहरण कर आदेश दिया की कोई भी याचिकाकर्ताओं से उनकी सुनवाई किए बिना वसूली नहीं की जा सकती। वर्तमान में बगैर सुनवाई के ही वसूली के निर्देश जारी किए गए। 

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