नई दिल्ली। फ्लैट-मकान के खरीदारों के हकों की रक्षा वाला रियल एस्टेट रेगुलेशन कानून-2016 (RERA) सोमवार (1 मई) से लागू हो गया लेकिन अभी तक मध्यप्रदेश समेत सिर्फ 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने नियम नोटिफाई किए हैं। RERA में रेगुलेटर का अप्वॉइंटमेंट कर नियम बनाने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है। यह अटॉरिटी केंद्र के मॉडल कानून के मुताबिक नियम बनाएगी। इसे ही कस्टमर शिकायत करेंगे। इस एक्ट में अपार्टमेंट या घर की बिक्री के 5 साल तक बिल्डंग में खामी सामने आती है तो डेवलपर उसे 30 दिन के अंदर दुरुस्त कराएगा। वरना खरीदार को मुआवजा देगा। प्रोजेक्ट के लिए खरीदारों से ली रकम का 70% अलग अकाउंट में रखना पड़ेगा। इसका इस्तेमाल उसी प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन में होगा। अभी डेवलपर एक प्रोजेक्ट के खरीदारों से पैसे लेकर दूसरे प्रोजेक्ट शुरू कर देते हैं।
रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर डेवलपर को हो सकती है जेल
डेवलपर को रेगुलेटर की वेबसाइट पर प्रोजेक्ट की डिटेल इन्फॉर्मेशन देनी होगी। इसे हर 3 माह में अपडेट करना पड़ेगा। ग्राहक को अथॉरिटी के पास ही शिकायत करनी होगी। अपीलेट ट्रिब्यूनल और रेगुलेटरी अथॉरिटी के ऑर्डर नहीं मानने पर डेवलपर को 3 साल, एजेंट व खरीदार को 1 साल जेल संभव।
खरीदार, डेवलपर पर जुर्माने का एक जैसा इंटरेस्ट रेट
कम से कम 500 वर्ग मीटर पर बनने या 8 अपार्टमेंट वाले प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन जरूरी। चाहे कमर्शियल हो या हाउसिंग। रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर प्रोजेक्ट की लागत के 10% तक पेनाल्टी लगेगी। दोबारा ऐसा करने पर डेवलपर को जेल हो सकती है। जिन प्रोजेक्ट्स को अभी कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है, उनका 3 महीने में रजिस्ट्रेशन कराना होगा, यानी जुलाई तक।रजिस्ट्रेशन के बाद ही डेवलपर ऐड दे सकता है। रियल एस्टेट एजेंट्स के लिए भी रजिस्ट्रेशन जरूरी किया गया है। प्रोजेक्ट में तय वक्त से देरी पर डेवलपर पर जिस इंटरेस्ट रेट से जुर्माना लगेगा, उसी रेट से देरी से पेमेंट करने वाले खरीदार पर।
देशभर में 76000 से ज्यादा रियल एस्टेट कंपनियां
10 लाख लोग घर खरीदने के लिए पैसे लगाते हैं हर साल। 76,000 से ज्यादा कंपनियां हैं रियल एस्टेट सेक्टर में देशभर में। RERA के तहत मध्य प्रदेश में ऑर्गनाइज्ड और अन ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में चल रहे सभी 6000 प्रोजेक्ट्स आएंगे, जिनमें करीब 1000 भोपाल में हैं।