
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को पहले ही 1 जनवरी से लागू किया जा चुका है। आपको बता दें सरकार की तरफ से लिए गए इस फैसला के बाद सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ जाएगा। सिर्फ रिटायर्ड केन्द्रीय कर्मचारियों को वार्षिक पेंशन देने से ही सरकारी खजाने पर करीब 1,76,071 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।
विकलांगता पेंशन की पुरानी व्यवस्था बहाल
सैन्यबल कर्मियों की मांग को मानते हुए मोदी सरकार ने विकलांगता पेंशन की पुरानी व्यवस्था के साथ बने रहने का फैसला किया है। सातवें वेतन आयोग में विकलांगता पेंशन के लिए स्लैब आधारित व्यवस्था की गई थी, जिसका सैन्य बलों ने भारी विरोध किया। सैन्य बलों की मांग थी कि विकलांगता पेंशन प्रतिशत आधारित व्यवस्था के हिसाब से दी जानी चाहिए, न कि स्लैब आधारित व्यवस्था के हिसाब से। सरकार ने सैन्यबलों की यह मांग मान ली है।
52 भत्ते पूरी तरह से समाप्त
वित्त सचिव अशोक लवासा की अगुवाई वाली उच्च स्तरीय समिति ने 47 लाख सरकारी कर्मचारियों के भत्तों पर एक रिपोर्ट अरुण जेटली की सौंपी थी। समिति ने कुल 196 भत्तों में से 52 भत्तों को पूरी तरह खत्म करने का और अन्य 36 को बड़े भत्तों में जोड़ने का सुझाव दिया था। अगर भत्तों को लेकर की गई सिफारिशों को लागू किया गया तो इससे सरकार पर 29,300 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।