नई दिल्ली। मप्र कांग्रेस की कमान थामने को बेताब कमलनाथ विदेश यात्रा से लौटते ही फिर सोनिया गांधी के दरबार में पहुंचे। शिवराज सिंह चौहान की एंटी इंकम्बेंसी के सहारे मप्र के सीएम बनने का सपना देख रहे कमलनाथ ने इस बार नई चाल भी चली। इधर वो सोनिया गांधी से मिले तो उधर एआईसीसी में उनके समर्थकों ने प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव एवं प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश के खिलाफ मुर्दाबाद की नारेबाजी भी करवाई। आगर मालवा से दिल्ली पहुंचे कार्यकर्ताओं ने पूरी ताकत से प्रदर्शन किया। योजनाबद्ध तरीके से शाम 6 बजे यह नारेबाजी करवाई गई और मीडिया को सूचना भी भेजी गई ताकि तत्काल कवरेज हो जाए और इस घटनाक्रम का मीडिया ट्रायल भी ना हो पाए।
मोहन प्रकाश मध्यप्रदेश के इंचार्ज हैं और अरुण यादव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष। आगर मालवा से एआईसीसी पहुंचे कुछ कार्यकर्ता दोनों पर स्थानीय संगठन चुनाव से पहले मनमाने तरीके से सात ब्लॉक अध्यक्ष बदलने का आरोप लगाए। उनका कहना था कि मध्यप्रदेश में संगठन चुनाव का ऐलान हो चुका है लेकिन उससे पहले ही व्हाट्सएप मैसेज के जरिए सात ब्लॉक अध्यक्षों को बदल दिया गया है। उनका आरोप है कि घंटों इंतजार कराने के बाद भी मोहन प्रकाश उनसे नहीं मिले। फिर नारेबाजी शुरू हो गई।
इसी दौरान विदेश से लौटने के बाद कमलनाथ सीधे पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे। मप्र की कमान के संदर्भ में कमलनाथ पहले भी सोनिया गांधी से मिल चुके हैं लेकिन राहुल गांधी ने उनका फैसला जून लास्टवीक तक के लिए टाल दिया। कमलनाथ चाहते हैं कि राहुल गांधी को बाईपास करते हुए उनकी घोषणा कर दी जाए। सूत्र बताते हैं कि गांधी परिवार से मधुर रिश्तों की राजनीति करते आ रहे कमलनाथ और राहुल गांधी के बीच अच्छे रिश्ते नहीं हैं। राहुल गांधी के पास मप्र को लेकर जो अध्ययन है, उसके अनुसार शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गज नेता और भाजपा जैसी शक्तिशाली होती जा रही पार्टी के खिलाफ कमलनाथ कमजोर कैंडिडेट हो सकते हैं। इधर कमलनाथ बार बार भरोसा दिला रहे हैं कि मप्र में शिवराज सिंह चौहान विरोधी लहर चल रही है। जीत हर हाल में कांग्रेस की होगी।
हरियाणा का प्रभार नहीं संभाल पा रहे कमलनाथ
मप्र में गुटबाजी खत्म करने का दावा करने वाले कमलनाथ हरियाणा के प्रभारी भी हैं। वो यहां चल रही गुटबाजी को खत्म करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि सोनिया गांधी ने हरियाणा के मामले पर कमलनाथ को बुलाया था। हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा खेमा पूरी कमान अपने हाथ में चाहता हैं। न सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर वह अशोक तंवर की विदाई चाहता है बल्कि कांग्रेस विधायक दल की नेता के तौर पर किरण चौधरी को भी हटाना चाहता है। लाल पगड़ी के खिलाफ भारी पड़ रही गुलाबी पगड़ी की इस लड़ाई को ऐसे सुलझा पाना कमलनाथ के लिए मुश्किल हो गया है। हाईकमान चाहता है कि हरियाणा में सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे। कमलनाथ के पास फिलहाल इसका कोई रास्ता नहीं है।
क्या चाहते हैं कमलनाथ
कमलनाथ मप्र में आने वाले चुनाव को अपना पेंशन प्लान मानकर चल रहे हैं। उनकी ओर से दलीलें दी जा रहीं हैं कि यह कमलनाथ के लिए आखरी अवसर है जबकि सिंधिया के लिए काफी वक्त बाकी है। वो चाहते हैं कि जिस तरह इंदिरा गांधी ने छिंदवाड़ा में उनकी ताजपोशी सुनिश्चित कर दी थी और पूरी कांग्रेस एकजुट होकर कमलनाथ के लिए काम कर रही थी उसी प्रकार गांधी परिवार मप्र में कांग्रेस के सभी गुटों को सख्त संदेश दे और मप्र में उन्हे फ्रीहेंड दे दिया जाए। वो चाहते हैं कि मप्र में कांग्रेस के सभी गुट एकजुट होकर उनके लिए काम करें और इसके लिए हाईकमान उन्हे बाध्य कर दे।