इस माया जगत मे प्रत्येक प्राणी धन के प्रभाव मे रहता है। कोई दिन रात मेहनत मज़दूरी करके रात मे चैन की नींद सोता है। तो कोई दिन रात लोगों से मज़दूरी कराने के बाद भी रात भर चैन से नही सो पाते। कुछ लोगो के पास धन रूपी जल का प्रचंड प्रवाह रहता है तो कुछ लोग ऐसे रहते है जो कुछ बूंदों से ही काम चला लेते है। विडम्बना की बात यह है की जब तक हमारी अर्थव्यवस्था सामान्य रहती है तब तक हम कुछ तकलीफ मे अवश्य रहते है लेकिन निश्चिन्तता जीवन मे रहती है क्योंकि उनका आश्रय माया के स्वामी भगवान विष्णु का ध्यान रहता है लेकिन जो माया के पीछे भागते है माया उन्हे अपने इशारे पर नॄत्य भी कराती है।
कर्ज का कारण
जब हम कोई कर्म करते है यदि वह कर्म बहुत अच्छा होगा तो हमे उसका अच्छा मूल्य मिलेगा तब हम निश्चित रूप से लाभ कमायेंगे और यदि वह कर्म बिगडा तो समय की हानि हुई मूल्य मिलने से रहा फलस्वरूप कर्ज की वृद्धि हुई। एक तरह से हम कहें की हमारी पत्रिका मे शनि ग्रह के अच्छॆ होने मात्र से हम कर्ज से बच जाते है।
शनि अच्छा कैसे हो
शनि को कालपुरुष का दास बनाया गया है। उसे केवल कर्म करना है लेकिन कर्म कैसे करना है यह अच्छी बुद्धि ही निर्णय कर सकती है। यानी जो व्यक्ति श्रेष्ठ बुद्धिमान होता है वह अच्छा काम कर सकता है। कई बार यह भी देखने मे आया की आपने बुद्धिमत्ता पूर्ण ढंग से सोचकर समझकर कार्य भी किया फ़िर भी आपको आपके कर्म का सही मूल्य नही मिल पाया।
पुण्य से धन वृद्धि कर्जनाश
नवग्रहों मे गुरु ग्रह ही एक ऐसा ग्रह है जो धन वंश वृद्धि और पुण्य बढ़ाता है। यदि आप अन्न दान करते है। जरूरतमंद लोगो की निष्काम भाव से सेवा करते है तो आपके पुण्य मे वृद्धि होती है। यही पुण्य वास्तव मे बरकत या लाभ दिखाता है, अन्यथा सही काम न बनना, आपदा आना, लगातार नुकसान सब काल का कमाल है। जो सीधी भाषा मे यह कह रहा है की यदि तुम केवल खुद के लिये खा रहे कमा रहे है तो इस संसार को आपकी आवश्यकता नही। परमात्मा का रचा इस संसार मे सभी ओर परमात्मा ही है इसीलिये जाती, भाषा, नस्ल, लिंग आदि सभी भेदों से परे उठकर जो अपनी सामर्थ्य अनुसार पुण्य करता है। दीनो की सेवा करता है वही पुण्यात्मा है तथा ऐसे पुण्यात्मा को कभी कर्ज नही होता है।
कलयुग मे दान का महत्व
अन्नदान का पुण्य कर्ज नाश का सबसे अच्छा उपाय है कलयुग मे धर्म के चारों पदों मे से केवल दान ही प्रभावी है इसीलिये अपनी सामर्थ्य के अनुसार भूखे प्राणी को भोजन कराने से कर्ज का नाश होता है।
पंडित चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
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