संसार और धन सदा एक दूसरे के पूरक होते है। रामायणजी मे लिखा है की दरिद्रता के समान कोई दुख नही है बिना धन के आदमी कोई पुण्य कार्य भी नही कर सकता। समाज मे धनी व्यक्ति का ही मान होता है अर्थात जिसके पास धन होता है उसी के पास मान होता है। लक्ष्मी कृपा आदमी को संसार सागर से पार कर देती है। एक तरह से लक्ष्मी या धन संसार रूपी सागर को पार करने के लिये कामधेनु के समान है। किसी व्यक्ति के पास अनाप शनाप धन होता है किसी व्यक्ति के पास दो जून की रोटी नही रहती।
धनदायक ग्रह
शुक्र को ज्योतिष में लक्ष्मी कहाँ गय़ा है। गाय पर शुक्र ग्रह का विशेष अधिकार होता है। शुक्र ग्रह की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हे सभी सम्पदा का मालिक बना दिया। शुक्र ग्रह दैत्य गुरु हैं। इसिलिये अधिकांश लोग अनीति से ही सारा धन कमाते है। ज्यादा धनी होना अधिकतर अनीति और गलत कार्यों से ही सम्भव है। शास्त्रों मे वर्णन है की छल कपट और गलत कार्यों से आदमी धनी बनता है। यह बात अलग है की बाद मे गलत कार्यों का दंड भी आदमी को भुगतना पड़ता है।
शनि शुक्र कृपा से धन
धनी होना और सम्पत्ति होना एक ही बात के दो पहलू है जब आदमी धनी होता है तो सबसे पहले सम्पत्ति बनाता है। जब कर्ज चढ़ता है तो सबसे पहले सम्पत्ति बिकती है। शनि महाराज सम्पत्ति और समाज दोनों मे परमकारक ग्रह है। जो व्यक्ति समाज मे नाम सम्मान कमाता है वही व्यक्ति पैसे वाला भी होता है।
शुक्र की राशि मे शनि उच्च
शुक्र ग्रह की राशि तुला मे शनि महाराज उच्च राशि मे रहते है। अर्थात शनि ग्रह की कृपा होगी तो ही आप समाज मे अच्छी स्थिति मे रहेंगे और धन कमायेँगे।
स्त्री से भाग्योदय
शुक्र को स्त्री का दर्जा दिया गय़ा है इसीलिये अधिकतर लोग स्त्री के जीवन मे आने के बाद या शादी के बाद धनी होते है। उनके धनी होने मे स्त्री का योगदान अवश्य रहता है।
शुक्र और गुरु
ज्योतिष के अनुसार शुक्र और गुरु ग्रह ही आदमी को सबसे ज्यादा धन दे सकते है। गुरु की राशि मीन मे शुक्र ग्रह उच्च राशि का होता है। इसीलिये गुरु कृपा से ही आदमी धनवान होता है।
धन प्राप्ति के लिये करें
इसके लिए आपको कोई यज्ञ हवन, तंत्र मंत्र या पूजा पाठ कराने की जरूरत नहीं। जातक को धन प्राप्ति के लिये बड़े लोगों की सेवा तथा विद्वानों और गुरुजनों से आशीर्वाद लेना चाहिये। प्राणी मात्र को भोजन कराना चाहिये। स्त्री जाति का सम्मान करना चाहिये और गाय की सेवा करना चाहिये। उपरोक्त कर्मों से दरिद्र व्यक्ति के पास भी धन आना शुरू हो जाता है।
पं.चंद्रशेखर नेमा "हिमांशु"
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