मनुष्य बड़े परिश्रम से धन अर्जित करता है। युगों पहले भी धन का अर्जन बड़ा कठिन था, आज भी कठिन है। लोग मेहनत करके कमाई तो कर लेते हैं परंतु ज्यादातर लोगों की वह कमाई जल्द ही बर्बाद भी हो जाती है। फिर चाहे वो गलत इंवेस्टमेंट के कारण हो या चोरी इत्यादि आपदाओं के कारण या फिर खर्चीले स्वभाव के कारण। इस तरह की धनहानि से बचना है तो आपको कुछ बातों को बड़ा ध्यान रखना होगा।
रामायण मे इस बात का स्पष्ट वर्णन है की इस संसार मे दो भूदेव अर्थात भूमि पर रहने वाले देव है। जिनकी सेवा कभी खाली नही जाती। वो है ब्राह्मण और नागदेवता। ब्राहम्ण की सेवा हम यदाकदा करते ही रहते है लेकिन नागदेवता की पूजा और सेवा के विषय मे हमे जानकारी बहुत कम है। नागदेवता से ज्यादातर लोग डर जाते हैं। कुछ लोगों को ध्यान आ रहा होगा कि नागदेवता खजाने की रक्षा करते हैं, लेकिन वो केवल चोरों से ही आपके खजाने की रक्षा नहीं करते बल्कि ज्ञात और अज्ञात शत्रुओं से भी रक्षा करते हैं। कुबुद्धी के कारण होने वाली धनहानि से भी आपको बचाते हैं।
नाग योनि का महत्व
नाग कुड्लिनि शक्ति का कारक होता है। हर जीव मे यह कुंडली शक्ति होती है हम हमारी रीढ़ की हड्डी मे हाथ लगायेंगे तो हमे इसका हल्का सा अहसास हो जायेगा। जिनकी कुंडली जाग्रत रहती है वो दिव्य तथा महान होते है। इस संसार मे जो उच्च स्थिति मे रहते है उनकी कुंडली जाग्रत ही रहती है जब तक व्यक्ति पशु के समान सभी कर्म करता है तब तक ये कुंडली शक्ति सोई रहती है लेकिन गुरुकृपा तथा ईश्वर कृपा से जब व्यक्ति अपने मूलस्वरूप ईश्वरत्व की ओर बढ़ता है तब वह कुंडली शक्ति जाग जाती है जातक जड़ से चैतन्य की ओर मुड़ता है।
राहु ग्रह और नागशक्ति
भगवान भोलेनाथ महाकाल है अर्थात सबका जीवन उनके अधीन है काल रूपी सर्प को उन्होने गले मे धारण कर रखा है। जगत के पालनहार भगवान विष्णु शेषनाग की शैया पर लेटे है। यह सारे संकेत नागरूपी दिव्यशक्ति का संकेत करने के लिये काफी है। रामानुज लक्ष्मण शेषअवतार ही है। अमृत मंथन के समय भगवान विष्णु ने कर्म और काल रूपी व्यवस्था को सुचारु रखने के लिये ही राहु केतु बनाये ये राहु केतु रूपी नाग शक्ति ही माया रूपी जगत को नियंत्रित कर रही है।
राहु का जीवन मे प्रभाव
हमारे समस्त विचारों का कारक राहु ग्रह ही होता है। कुंडली मे जब यह ग्रह बलवान होता है। तब जातक अपने विचारों से जगत को नई दिशा देता है। विचारों से ही कर्म होते है पाप और पुण्य होते है पाप और पुण्य से अच्छा और बुरा जीवन मिलता है तथा कर्म रूपी कालसर्प कभी हमे महान तो कभी मिट्टी बना देता है।
पंचमी नागों की तिथि
सभी तिथियों के स्वामी अलग अलग देवता होते है। पंचमी तिथि के स्वामी नाग होते है। इस दिन नाग देवता का पूजन पाठ करने से हमारे सभी मनोरथ पूर्ण होते है। नागों को शीतलता पसंद होती है। इस दिन घर मे अग्नि का प्रयोग न करें। नागमंदिर जाकर नागों का अभिषेक करें। ये कार्य आप घर मे नाग नागिन जोड़े के अभिषेक से भी कर सकते है। यदि कभी सर्प मारा हो तो उसके लिये क्षमा मांगे। कभी सर्प दिख भी जाये तो उसे जाने दे या किसी जानकार को बुलवाकर कही छुड़वा दें। बिना मतलब वे आपका अहित नही करेंगे। सर्पहत्या कुंडली मे राहु ग्रह को कुपित कर सकती है।
नवनाग स्त्रोत का पाठ
इस पूर्ण विश्व मे नव नाग है जिनका नाम लेने से आपको राहु की कृपा प्राप्त होती है भूतप्रेत बाधा का निराकरण होता है जीवन मे धन धान्य की वृद्धि भी होती है।
रंक से राजा बनाने की शक्ति
एक राहु महाराज (सर्प देव) मे ही वह शक्ति होती है जो रंक को राजा बना सकती है धन का आधिपत्य इनके पास ही है। नियम विधि दे कही भी भाव से स्मरण करने से नागदेव प्रसन्न होकर शिवकृपा दिलाते है जिससे लोक और परलोक दोनो सुधरते है।
पंडित चंद्रशेखर नेमा "हिमांशु"
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