शायद, बैंकों की सेहत सुधर जाये | BANK

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। मौजूदा बैंकिंग कानून के झोल का फायदा उठा रहे बैंकिंग डीफाल्टरों के लिए यह बुरी खबर है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैंकिंग सेक्टर की सेहत बनाए रखने के लिहाज से एक बड़ी पहल की है। मंत्रिमंडल ने इस संबंध में एक अध्यादेश का प्रारूप मंजूर कर उसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया। अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने तक इसके प्रावधान सार्वजनिक नहीं हो  सकते, इसलिए फिलहाल इसके मजमून के बारे में कोई औपचारिक सूचना नहीं है। परन्तु,इतना स्पष्ट है कि इस अध्यादेश के जरिए बैंकों को डूबे कर्जों की वसूली को लेकर नए अधिकार मिलने जा रहे हैं।

करीब 6 लाख करोड़ रुपए के न चुकाए जाने वाले कर्जों के बोझ तले कराह रहे पब्लिक सेक्टर बैंकों ने देश के समूचे बैंकिंग सिस्टम के ही बैठ जाने का खतरा पैदा कर दिया है। ऐसे में सरकार को कुछ न कुछ ऐसे कदम उठाने ही थे, जिनसे बैंकों की आर्थिक हालत सुधरे। माना जाता रहा है कि बैंकों के आला अफसरान अपनी तरफ से सेट्लमेंट पैकेज तैयार कराने या घाटा सहकर किसी असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी को अपने कर्जे बेच देने की प्रक्रिया शुरू कराने में हिचकिचाते हैं। वजह यह कि ऐसा करने पर उन्हें सीबीआई, सीवीसी या सीएजी जैसे नियामकों की नजर में आने का डर रहता है। इस अध्यादेश में उन्हें ऐसी संभावित कार्रवाइयों से सुरक्षा देने का इंतजाम किया गया है।

कर्जों की रीस्ट्रक्चरिंग को भी आसान बनाने की कोशिश इस अध्यादेश में की गई है। अब तक इस काम के लिए दो सदस्यों वाली ओवरसाइट कमिटी हुआ करती थी। आगे इस समिति का विस्तार किया जा सकता है, ताकि इस प्रक्रिया को ज्यादा व्यापक और पारदर्शी बनाया जा सके। कहा जा रहा है कि सरकार की नजर मुख्यत: 50 सबसे बड़े डिफॉल्टरों पर है, जो मौजूदा कानूनों में मौजूद झोल का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि नया अध्यादेश लागू होने के बाद इन्हें कार्रवाई के दायरे में लाना आसान हो जाएगा। याद रखने की बात यह है कि बट्टा खाते के इस लगातार बढ़ते बोझ के लिए सिर्फ लोन लेने वाले जिम्मेदार नहीं हैं। बैंकिंग सिस्टम और खासकर पॉलिटिकल सिस्टम के अंदर बैठे लोगों की सक्रिय सहायता के बिना ये धन्नासेठ पब्लिक के पैसों की ऐसी खुली लूट नहीं मचा सकते थे। इसलिए असल मामला अच्छे कानून बनाने से ज्यादा उन्हें अच्छी तरह लागू करने का है। जो बेहद जरूरी हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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