
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार
-83% लोगों ने माना-पिछले एक साल में उनका इलाका काफी साफ-सुथरा हुआ है।
-82%ने कहा, डोर टू डोर कूडा लेने की सुविधा पहले से बेहतर हुई है।
-80% के मुताबिक, पब्लिक टायलेट तक लोगों की पहुंच आसान हुई।
-404 शहरों और कस्बों के 75% इलाके पहले से कहीं अधिक साफ हुए।
मध्यप्रदेश के 8 शहर थे दौड़ में
एक लाख से ज्यादा आबादी वाले 500 शहरों के सफाई सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश के आठ शहर देश के टॉप-20 में चुने गए थे। इस सूची में छह नगर निगम भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर व रीवा शामिल थे। यही नहीं खरगोन और पीथमपुर नगर पालिकाओं ने भी बड़े शहरों को पछाड़कर इस सूची में जगह बनाई थी।
तीसरे सर्वेक्षण में मिली कामयाबी
मप्र को तीसरे सर्वेक्षण में कामयाबी मिली है। केंद्र सरकार इससे पहले दो सर्वेक्षण करा चुकी है। पहली बार सर्वेक्षण 2015 में कुल 476 शहरों का किया गया था। इसमें मप्र का कोई भी शहर टॉप 100 शहरों में शामिल नहीं हो पाया था। भोपाल इसमें 108वें नंबर पर था। इसके बाद सर्वेक्षण 2016 में देश के दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले 73 शहरों का सर्वेक्षण हुआ। इस दौरान भोपाल, इंदौर, ग्वालियर के अलावा जबलपुर को शामिल किया गया था, लेकिन कोई भी शहर टॉप 20 में जगह नहीं बना पाए थे। इस सर्वे में में मैसूर नंबर एक पर था। जबकि भोपाल का नंबर 21वां था।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव ने इस सर्वेक्षण को महज कागजी कार्यवाही करार दिया है। यादव ने माना कि, भोपाल खूबसूरत शहर है, लेकिन नगर निगम या सरकार ने निचली बस्तियों के लिए क्या किया, वो पहले यह बताए? सिर्फ पॉश इलाकों में साफ-सफाई करने से पूरा शहर स्वच्छ नहीं हो जाता।