
महापौर का कहना है कि नालियों और डक्ट पर बना यह ट्रैक खतरनाक साबित हो सकता है। इसमें तमाम खामियां हैं। जब तक यह साइकिल ट्रैक की खामियां दूर नहीं हो जाएं मैं उद्घाटन नहीं होने दूंगा। महापौर आलोक शर्मा ने ऐसा कहते हुए स्मार्ट सिटी कंपनी के बाइक शेयरिंग स्कीम पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। बता दें कि बाइक शेयरिंग स्कीम पर 05 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। यह 10 किमी लंबा ट्रैक है जो आरआरएल से मिसरोद तक जाता है। इसके लिए जर्मनी से 150 साइकिलें आ चुकी हैं।
क्या खामियां हैं इस ट्रैक में
होशंगाबाद रोड पर जिस जगह पर पेविंग ब्लाक बिछाए उसके ऊपर साइकिल ट्रैक बना दिया।
साइकिल ट्रैक के लिए डक्ट के ऊपर डामरीकरण कर दिया।
कई जगहों पर नीचे ड्रेनेज की नालियां हैं, जिनका पानी ओवरफ्लो होकर ट्रैक पर आ जाएगा।
साइकिल ट्रैक को लेकर महापौर को क्या आपत्ति है?
साइकिल ट्रैक के निर्माण में मापदंडों का पालन नहीं हुआ है, यह खतरनाक साबित हो सकता है। किसी भी नुकसान की स्थिति में हमें जवाब देना होगा। केवल कैमरे लगा देने से साइकिल की चोरी नहीं रोकी जा सकती। मैं शुरू से इसकी खामियां दूर करने की बात कर रहा हूं। पिछले साल दिसंबर में दैनिक भास्कर में खबर छपने के बाद मैंने परिषद अध्यक्ष के साथ मुआयना कर सुधार के निर्देश दिए थे। हमने मंजूरी नहीं दी तो अफसर संचालनालय से मंजूरी करा लाए। यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है। कुछ अफसर अपना शौक पूरा करना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने यह ट्रैक बनाया।
नगरीय प्रशासन आयुक्त विवेक अग्रवाल का कहना है कि संचालनालय से सीधी मंजूरी की कोई व्यवस्था ही नहीं है। संचालनालय से सीधे तौर पर मंजूरी नहीं दी जा सकती। इसमें अफसरों की कोई भूमिका नही है। ट्रैक बनकर तैयार हो गया है। इसका शुभारंभ करना है या नहीं यह महापौर तय करें।