भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी में स्थित फरहत अफजा कब्रिस्तान में आज अचानक कुछ वर्षों पुराने नरकंकाल दिखाई दिए। ऐसा लगा मानों लाशें कब्र फाड़कर बाहर आ गई हों। खबर तेजी से आसपास के इलाके में पहुंची और मुस्लिम समाज वहां एकजुट हुआ। जब भोपाल समाचार ने इस मामले के बारे में बातचीत की तो पता चला कि यह कोई कब्रिस्तान के रहस्यमयी भूतों की कहानी नहीं बल्कि एक घोटाला है जो पहले भी हो चुका है।
भोपाल के बाग फरहत अफजा कब्रिस्तान में सोमवार को कुछ लोगों ने कब्र के बाहर सड़ी-गली लाशें और कंकाल पड़े देखे। इसके बाद वहां हड़कंप की स्थिति बन गई। सोमवार को जब इस घटना की जानकारी क्षेत्रीय मुस्लिम समाज को पता चली, तो वे बड़ी संख्या में कब्रिस्तान इकट्ठा हो गए। एक क्षेत्रीय नागरिक आदिल खान के मुताबिक, यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कब्रिस्तान में ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
लोगों ने बताया कि यह मामला ऐसा नहीं है जैसा कि पहली नजर में सामने आ रहा है। बल्कि यह एक घोटाला है। जिन लोगों को कब्र खोदने का काम दिया गया है वो पुरानी कब्रें खोदकर उसमें मौजूद नरकंकालों को यहां वहां फैंक देते हैं। ऐसा वो इसलिए करते हैं क्योंकि कब्रिस्तान की जमीन सख्त है। उसे खोदने में काफी मेहनत लगती है जबकि पुरानी कब्र की जमीन नर्म होती है। वो आसानी से खोदी जा सकती है। लोगों ने इस मामले में कब्रिस्तान के अध्यक्ष सावर खान पर गैर जिम्मेदार तरीके से अपना काम करने का आरोप लगाया है। हालांकि अध्यक्ष ने आरोपों को नकारा है।
लोगों ने कहा कि, कब्रिस्तान में कब्र खोदने के एवज में 5-6 हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं, जबकि निर्धारित दर 1500 रुपए है। इसके बावजूद कब्र खोदने का काम ऐसे लोगों को दे दिया जाता है जो कब्र खोदना जानते ही नहीं। बस पैसे के लालच में पुरानी कब्रों से कंकाल निकालकर मिट्टी उलट देते हैं।